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सूत्र
भावार्थ
पंचमोंग वहाव पण्णाने ( भगवती ) सूत्र 4
केवलीणं भंते! सोहम्मं कप्पं सोहम्म कप्पेति जाणइ पासइ ? एवं चेव ॥ एवं ईसाणं, एवं जात्र अच्चुयं ॥ केवलीणं भंते । गेविजग विमाणं गेविजगविमाणेति जाइ पाइ ? एवं चेत्र ॥ एवं अणुत्तरविमाणेवि ॥ केवलीणं भंते ! ईसिप्पन्भारं पुढ ईसिप्प भार पुढवीति जाणइ पासइ ? एवं चेव ॥ ५ ॥ केवलीणं भंते! परमाणु पोग्गलं परमाणु पोग्गलेति जाणइ पासइ ? एवं चेव । एवं दुपदेसियं खंधं, एवं जाव अनंत पदेसियं स्वधं ॥ जहाणं भंते केवली अणतपदेसिए खंधेति जाणइ पासइ तहाणं सिद्धेकि अणतं पदेसियं खंधं जाव पासइ ? हंता जाणइ पासइ ॥ सेवं भंते भंतेत्ति ॥ चउद्दसम सयस्सय दसमो उद्देसो सम्मत्तो ॥ १४ ॥ १० ॥ सम्मत्तंय चउद्दसमं सयं ॥ १४ ॥ रत्नप्रभा पृथ्वी जाने देखे ? हां गौतम ! जाने देखे. ऐसे ही शर्कर प्रभा पृथ्वी यावत् सातवी तमतमा पृथ्वी का जानना. जैसे नारकी का कहा. वैसे ही सौधर्म ईशान यावत् अच्युत, ग्रैवेयक, अनुत्तर विमान व ईषत्प्रागभार पृथ्वी का जानना ॥ ५ ॥ अहो भगवन् ! केवली परमाणु पुद्गल को क्या परमाणु पुद्गल (जाने देखे ? हां गौतम ! वैसे ही जानना. ऐसे ही द्विपदेशात्मक स्कंध, यावत् अनंत प्रदशात्मक स्कंध का जानना. वैसे ही सिद्ध भी अनंत प्रदेशिक स्कंध को जाने देखे. अहो भगवन् ! आप के वचन सत्य हैं. यह चौदहवा शतक का दशवा उद्देशा संपूर्ण हुवा ॥ १४ ॥ १० ॥ यह चौदहवा शतक संपूर्ण हुवा ॥ १४ ॥
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4- चउदडवा शतक का दर्शवा उदशा 498+
१९७३