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शब्दार्थ
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* अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी 8
तैसे जायावत् स० सर्व से स. सर्व जा. आहार करे ए. ऐसे जायावत् वे वैमानिक॥४॥ ने० नारकी
भगवन ने नरक में उ० उत्पन्न हुवा किं० क्या दे० देश से दे० देश उ० उत्पन्न हुवा ए०यह त० तैसे जा. यावत् स. सर्व से स० सर्व उ० उत्पन्न हवा ज. जैसे उ० उपजता उ० चवता में च० चार दें दंडक त. तैसे उ० उत्पन्न हवा उ. चवा च. चार दं० दंडक भा. कहना स० सर्व से स० सर्व उ० उत्पन्न हुवा म० सर्व से दे. देश आ० आहार करे स० सर्व से स० सर्व आ० हारकरे ए.
एवं जाव वेमाणिण ॥ ४ ॥ नेरइएणं भंते ! नेरइएसु उववण्णे किं. १ देसेणं देसं उववण्णे ? एसोवि तहेव जाव सव्वेणं सव्व उपवण्णे जह उववजमाणे उव्वमाणेय चत्तारि दंडगा तहा उववण्णे उव्वट्टणेवि चत्तारि
दंडगा भाणियन्वा, सवेणं सव्वं उववण्णं सब्वेण वा देसं आहारेइ सव्वेणं सन्वं दंडक में जानना ॥ ४ ॥ अब उत्पन हुवा व उत्पन्न हुए का आहार संबंधी दो दंडक कहते हैं. अहो. भगवन् ! नारकी में उत्पन्न हुवा जीव क्या अपने देश से नारकी का देशपने उत्पन्न हुवा यावत् सर्व से सर्वपने उत्पन्न हुवा ? अहो गौतम ! इस का अधिकार उत्पन्न होते हुवे में जैसा कहा वैसा यहां पर कहना. उत्पम होते व उर्तते के चार दंडक जैसे कहा वैसे ही उत्पम हुवे व उद्धर्ते का आहार की साथ चार दंडक जानना. इम में सत्र से सब उत्पन्न हुवा, उसन्न हुए जीव सब से देश का आहार करे, सब ।
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प्रकाशक-राजाबहादुर लालासुखदेवसहायजी घालाप्रसादजी*
भावार्थ
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