SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1999
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १९६९ पंचमांग विवाह पण्णति ( भमवती) सूत्र 48 तेयलेस्सं विश्वयइ, एवं एएणं आभिलावेणं. तिमासपरियाए समणे णिग्गंथे असुर कुमाराणं देवाणं तेयलेस्सं वाइवयइ, चउमास परियाए समणे णिग्गंये गहगण लक्खत्ततारारूवाणं जोइसियाणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयइ, पंचमास परियाए . समणे पिगंथे चंदिम-सूरियाणं जोइसियाणं जोइसिरायाणं तेयलेस्सं वीइवयइ ; छम्मास परियाए समणे णिग्गंथे सोहम्मीसाणाणं देवाणं, सत्तमास परियाए सणंकुमार माहिदाणं देवाणं, अट्टमास परियाए समणे णिग्गंथे बंभलोगलंतगाणं देवाणं, तेयलेस्सं वीइवयइ, णवमास परियाए समणे णिग्गंथे महासुक्कसहस्साराणं देवाणं भवनपति देवों के सुख से अधिक सुख के भोक्ता होते हैं, तीन मास की पर्याय वाले असुरेन्द्र की तेजो लेश्या को अतिक्रमत हैं, चार मास की पर्याय वाले ग्रह नक्षत्र ताराओं की तेजो लेश्या को अतिक्रमते हैं पांच मास की पर्यायवाले ज्योतिषी के राजा चंद्र सूर्य की तेजो लेश्या को अतिक्रमते हैं, छ मास की पर्याय वाले सौधर्म ईशान देवलोक की तेजो लेश्या को अतिक्रमे, सात मास की पर्याय वाले सनत्कुमार माहेन्द्र, आठ मास की पर्यायवाले श्रमण निग्रंथ ब्रह्मदेवलोक वं लंतक, नव मास की पर्यायवाले श्रमण निग्रंथ महाशुक्र व सहस्रार, दश मास की पर्यायवाले श्रमण निग्रंथ आणत, पाणत, आरण व अच्युत, अग्यारह मास की पर्यायवाले श्रमण निग्रंथ त्रैवेयक, बारह मास की पर्यायवाल श्रमण निग्रंथ अनुत्तरो 488- चउदहवा शातक का नववा उद्देशा भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy