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________________ शब्दार्थ १९६२ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी * सी० मस्तक को सा• स्वहस्त से अ० असि से छि० छेद कर क. कमंडल में १० डालने को ई० हांप017 समर्थ से० वह क० कैसे इ. इस को ५० करे गो. गौतम छि० छेद कर ५० डाले भि० भेदकर ५०१ डाल कु० कूटकर १० डाले चु० चूर्णकर प० डाले त० पीछे खि० सीघ्र प. संधान करे तक उस पु० पुरुष को कि० किंचित् आ० अव्यावाध वा. व्याबाध उ० उत्पन्न करे छ० छेद क० भंते ! सके देविंदे देवराया परिसस्स सीसं सापाणिणा असिमा छिदित्ता कमंडलु पक्खिवित्तए ? हंता पभ ॥ से कहमिदाणिं पकरेइ ? गोयमा ! छिदिय छिंदिया चणंवा पक्खिवेज्जा, भिंदिय भिंदिया चणं वा पक्खिवेजा, कुटिय कुटिया चणं वा पक्खिवेज्जा, चुण्णिय चुणिया चणं वा परिखवेज्जन, तओ पच्छा खिप्पामेव पडिसं घाएजा, णो चेवणं तस्स पुरिसस्स किंचिवि आबाहंवा वाबाहं वा उप्पाएजा, छविअपने हस्त में रहा हुवा खड्ग से पुरुष का मस्तक छेदकर कमंडल में डालने को क्या समर्थ है ? हां गौतम ! वह समर्थ है. अहो भगवन ! वह कैसे करे ? अहो गौतम ! चरमादिक मे कुष्माण्डादिक छोटे २ टुकडे कर के छेदन करे, फाड कर के भेदन करे कुटकर चूर्ण करे और पीछे उस को एक कमडल में भरे परंतु उस मनुष्य को किंचिन्मात्र बाधा, विवाधा व चर्म छेद नहीं होता है; क्यों कि वह इतनी amamiwwwmmmmmmm *प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदवसहायजी ज्वालामसादजी* भावार्थ 1
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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