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शब्दार्थ
सूत्र
अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
ए. एक साथ अ० अविशेष आ० नाना प्रकार रहित म० होवेंगे ॥२॥ सरल शब्दार्थ
भेदा इतो चुता दोवि तुला एगट्ठा अविसेसमणाणत्ता भविस्सामो, ॥१॥ जहाणं भंते ! वयं एयमढे जाणामो पासामो तहाणं अणुत्तरोववाइया देवा एयमटुं जाणंति पासंति ? हंता गोयमा ! जहाणं वयं एयमढे जाणामो पासामों तहाणं अणुत्तरोव . वाइया देवा एयमढे जाणंति पासंति ॥ से केणटेणं जाव पासंति ? गोयमा ! अणु:
सरोववाइयाणं अणंता मणोदव्ववग्गणाओ लड़ाओ पत्ताओ अभिसमण्णागयाओ पीछे चले आये हुवे हो, तुम मेरी अमवृत्ति पालते हो अहो गौतम ! अंतर रहित: देवताओंके व अंतर महिन मनुष्यों के भवों में और विशेष में यहां से आयुष्य पूर्ण कर आगे अपने दोनों इस उदारिक पिण्ड का ल्याग करके तुल्य, एक प्रयोजन वाले, विशेषता व नानात्व रहित होवेंगे: ।।१।। अहो भगवन् ! जैसे आप? शान से और मैं आपके उपदेश. से इस तरह अपन दोनों इस बात को जानते हैं वैसे ही क्या अनुत्तरोपपातिक देव क्या जानते हैं देखते हैं ? हां गौतम ! जैसे अपन जानते देखते है वैसे ही अनुत्तसेपपातिक देव इस अर्थ को जानते हैं. अहो भगवन् ! किस तरह अनुत्तरोपपातिक देव अपने जैसें जानते.. देखते हैं. अहो यौतम! अनुत्तरोपपातिक देवोंको उस विषय में अवधिज्ञान की अपेक्षा से अनंत मनोव्य. वर्गणा -"
भावार्थ
मास-मजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालामसादजी *