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से तेण?णं एवं जाव थणियकुमारा॥ एगिदिया जहाः गैरइया ॥ बेइंदियाणं भंते.!. अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं जहा असुरकुमारे तहा बेइंदिएवि, णबरं जेणं वीईबएज्जा सेणं तत्थ झियाएजा ? हंता झियाएजा, सेसं तंव जाव चरिंदिया। पंचिंदिये १९१३ तिरिक्ख जोणिएणं भंते ! अगणिकाय पुच्छा ? गोयमा ! अत्थेगइए वीईवएजा, अत्थेगइए णो वाईवएजा, ॥ से केणटेणं भंते ? गोयमा ! पंचिंदियः तिरिक्त जोणिया दुविहा पण्णत्ता तंजहा विग्गहगइ समावण्णगाय अविग्गहगइसमावण्णगाय,
विग्गहगइ समावण्णए जहेव णेरइए जाव णो खलु तत्थ सत्थं कमइ ॥ अविगाह भावार्थ हा जा सकते हैं. और जो जा सकते हैं वे आग्निकाया में जलते नहीं हैं. अहो गौतम ! इस कारन से है।
कितनेक असुर कुमार अग्निकाया में जा सकते हैं और किसनेक नहीं जा सकते हैं. ऐसे ही स्थानित कुमार तक कहना. एकेन्द्रिय का नारकी जैसे कहना. इन्द्रिय का अमुर कुमार जैसे कहना परंतु इन में
जो अग्निकाया की बीच में होकर जाते हैं वे उस में जलते हैं. बेइन्द्रिय जैसे तेइंन्द्रिय व चतुरेन्द्रिय का 23 जानना. पंचेन्द्रिय तिर्यंच की पृच्छा ? अहो गौतम ! कितनेक जा सकते हैं और कितनेके महीं जा
सकते हैं. अहो भगवन् ! किस कारन से कितनेक ना सकते हैं और कितनेक वहीं जा सकते हैं?
१ चउदहा अवकाक्रो चिया उशा कक