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________________ सिया ॥ एवं पडुप्पण्णं सासघं समयं, एवं अणागयमणं सासयं समय ॥४॥ परमाणु ग्गलेणं भंते ! सासए असासए ? गोषमा ! सिय सासए सिय असासए । सेकेणहै टेणे भंते ; एवं वुच्चइ-सिय सासए सिय असासए ? गोयमा ! दवट्ठयाए सासए है वण्णपजवेहिं जाव फासपज्जवहिं असासए, से तेण?णं जाय सिय असासए ॥५॥ परमाणुपोग्गलेणं भंते ! किं चरिमे अचरिमे ? गोयमा ! दव्वादेसेणं णो चरिमे dog पंचभाग विवाह पणत्ति ( भगवती.) मूत्र 4882 काल शाश्चत समय में वगैरह सब कहना और इस प्रकार आगामिक काल अनंत में भी शाश्वत समय में इत्यादि कहना ॥ ४ ॥ अहो भगवन् ! क्या परमाणु पुद्गल शाश्वत है या अशाश्वत है ? अहो मौतम ! #परमाए पुल क्वचित् शाश्वत और क्वचित् अशाश्वत है. अडो भगवन ! किस कारन से परमाण पदल चित् शाश्वत व क्वचित् अशाश्वत है ? अहो गौतम ! द्रव्य पर्याय से शाश्वत यावत् म्पर्श पर्याय की अपेक्षा से अशाश्वन है. इसलिये अहो गौतम ! परमाणु पर्ल कचित् शाश्वत व प्रकाचित् अञ्चाश्वत है. ॥ ५ ॥ अहो भगवन् ! क्या परमाणु चरिम है या अचरिम है ? अहो गौतम !* जो परमाणु जिस भाव से च्युत हुवा उसी भाव को पुःन प्राप्त न होवे; वह परमाणु उस भाव की अपेक्षा से चारैम कहा जाता है और इस से प्रतिपक्षी अचरिम कहाता है. 48+ चन्दावा शतक का चौथा उद्देशा 498 पयाय
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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