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शब्दार्थ
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कोई पुरूप च० चक्र ग लेकर ग. जावे एक ऐसे अ० अनगार भा० भावितात्मा च० चक्र कि० कु broह हस्त से अ० आत्मा से० शेष ज. जैसे के० रज्जु घ० घडावाला ए. ऐसे छ० छत्र च० चामर ॥ १० ॥ सरल शब्दार्थ -
एवामेव तहेव ॥ ९ ॥ से जहा णामए केइपुरिसे चक्कं गहाय गच्छेजा, एवामेव अणगारे भावियप्पा चक्ककिच्चहत्थगएणं अप्पाणेणं, सेसं जहा केयाघडियाए, ॥ एवं छत्तं, एवं चम्म, ॥१०॥से जहा केइ पुरिसे रयणं गहाय गच्छेजा, एवं चेव, एवं वइए, वेरुलियं जाव रिटुं|एवं उप्पलहत्थगं, पउमहत्थगं कुमुदहत्थगं,एव जाव ॥११॥ से जहा णामए
केइ पुरिसे सहस्सपत्तगं गहाय गच्छेज्जा, एवं चेव ॥ १२ ॥ से जहा णामए केइ है पुरिसे भिसं अवदालय २ गच्छेज्जा, एवामेव अणगारेवि भिसं किच्चगएणं अप्पामेणं भी कहना ॥ ९॥ जैसे कोई पुरुष चक्र लेकर जाता है वैसे ही अनगार चक्र कृत्य हस्तगत कर जावे ऐसे ही छत्र व चर्म का जानना ॥१०॥ जैसे कोई पुरुष रत्न ग्रहण कर जावे वैसे ही अनगार जावे
ऐसे ही वैडूर्य यावत् रिष्टतक रत्नों का जानना ऐसे ही उत्पल, पद्म, कुमुद का कहना ॥ ११ ॥ जैसे |otoकोई पुरुष सहस्रपत्र ग्रहण कर जाके वैसे ही अनगार का कहना ॥ १२ ॥ जैसे कोइ पुरुष मृणाल (कमल to
की डाल) को तोडकर जावे वैसे ही साधु भी मृणाल कृत्यगत आत्मा से शेष जैसेही. ॥१३॥ जैसे कमलिनी,
पंचांग विवाह पण्णति (भगवती) मूत्र
• तेरहवा शतक का नववा उद्देशा 8
भावार्थ
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