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शब्दार्थ
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अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी -
से० वह ज जैसे प० पक्षी वि० विरालक सि० होवे रु० वृक्ष से रु० वृक्ष को डे० अतिक्रमता ग० जावे *
ऐमे अ. अनगार ॥६॥ से वह ज. जैसे जी. जीवं जीवक सि० होवे दो दोनों पांव स. साथ है उपाडता ग• जावे ए० ऐसे अ० अनगार ॥ ७॥ मे० वह ज• जैसे ह० हंस सि० होवे ती. तीरसेन ती० नीरको अ० रमता ग० जावे ए० ऐसे अ० अनगार ॥ ८ ॥ से वह ज० जैसे स० समुद्र कागपक्षी वी• वेली से वी. देलीको डे० उल्लंघन करता ग. जावे ए. ऐसे त० तैसे ॥९॥ से वह ज० जैसे के०
नामए पक्खिविरालए सिया रुक्खाओ रुक्खं डेवेमाणे गच्छेजा एवामेव अणगारे सेसं तंचेच ॥ ६ ॥ से जहा नामए जीवं जीवगसउणे सिया दोवि पाए समतुरंगेमाणे २ गच्छेज्जा एवामेव अणगारे सेसं तंचेव ॥ ७ ॥ से जहा णामए हंसे सिया तीराओ तीरं आभिरममाणे २ गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे हंसकिच्चगएणं अप्पाणेणं सेसं तंचेव
॥ ८ ॥ से जहाणामए समुद्दवायसए सिया वीईओ वीइंडेवेमाणे गच्छेजा, वृक्ष से दूसरे वृक्षपे उड़ता हुवा जावे वैसे ही अनगार जावे शेष पूर्ववत् ॥ ६ ॥ जैसे जीवंजीवक नाम का पक्षी घोडे की तरह दोनों पांव को साथ उठाता हुवा जावे वैसे ही अनगार दोनों पांवों को साथ उठाता हुवा जावे ॥ ७ ॥ जैसे हंस एक तीर से दूसरे तीरपे क्रीडा करता हुवा जावे वैसे ही अनगार वैक्रेय कर जावे शेष पूर्ववत् ॥८॥ जैसे समुद्र का वायत एक वेल से दूसरी वेल पर कडे वैसे ही अनगार साधु का
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ