SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1926
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ऋषिजी १८९६ १ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक वमाणा जाई दवाई संपयं मरंति तेणं गैरइया ताई दवाइं अणागए काले णो पुणोवि मरिस्संति से तेणट्रेणं जाव मरणे ॥ २८ एवं तिरिक्ख, मणुस्मदेवे ॥ एवं. खेत्तादितिय मरणेवि ॥ एवं जाव भावादितिय मरणेवि ॥ २९ ॥ बाल मरणेणं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुवालसविहे. पण्णत्ते, तंजहा-वलयमरणे जहा.. खंदए जाव गिडपिटे ॥ ३० ॥ पंडियमरणेणं भंते ! कइविहे पण्णते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-पाओवगमणेय, भत्तपञ्चक्खाणेय ॥ ३१ ॥ पाओवगमणेणं द्रव्य आत्यंतिक मरण. अहो भगवन् ! किस कारन मे नारकी द्रव्य आत्यंतिक मरण कहा गया है ? अहो गौतम ! नरक में वर्तमान नारकी.जिन द्रव्यों को ग्रहण कर मरते हैं. उन द्रव्यों को ग्रहण किये बिना अनागत में मरेंगे इसलिये नरक द्रव्य आत्यंतिक मरण कहा है. ॥ २८ ॥ ऐसे ही तिर्यंच मनुष्य व देव का जानना. और ऐसे ही क्षेत्र आत्यंतिक यावत् भावात्यंतिक मरण का जानना.॥२९॥ अहो भगवन् ! बाल मरणके कितने भेद कहे हैं ? अहो भगवन् ! बाल मरण के बारह भेद कहे हैं. वलयामरणादिक से लगा कर अधिकार स्कंधक में कहा वैसे ही यहां सब कहना. ॥ ३० ॥अहो भगवन् ! पंडित मरण के कितने भेद कहे हैं. अहो गौतम ! पंडित मरण के दो भेद कहे हैं. १ पादोपगमन और २ भक्त प्रत्याख्यान ॥ ३१ ॥ अहो नाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेव सहायनी मालाप्रसादजी । --
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy