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शब्दार्था० आत्मा म. मम अ० अन्य म० मन गौ० गौतम ज० जैसे भा० भाषा त० तैसे म० मन जा०
अण्णे मणे ? णो आता मणे अण्णे मणे ? गोयमा ! जहा भासा तहा मणेवि, जाव णो अजीवा ॥ १० ॥ पुवि भंते ! मणे, मणिजमाणे मणे, एवं जहेव भासा ॥ ११ ॥ पुन्वि भंते ! मणे भिज्जइ, माणजमाणे मणे भिजइ, मण समयवीइक्ते मणे भिजइ ? एवं जहेव भासा ॥ १२ ॥ कइविहेणं भंते ! मणे पण्णत्त ?
गोयमा ! चउबिहे मणे पण्णत्ते, तंजहा-सच्चे जाव असच्चा मोसे ॥ १३ ॥आया भंते ! भावार्थ
होने से मन का कथन करते हैं. अहो भगवन् ! क्या आत्मा मन है या अन्य मन है ? अथवा नो आत्मा मन है या अन्य मन है ? अहो गौतम ! जैसे भाषा का कहा वैसे ही मन का जानना ॥१०॥ अहो । भगवन् ! मनन पहिले मन, मनन करने लगे जब मन, अथवा मनन का समय व्यतीत हुवे पीछे मन ? अहो गौतम ! जैसे भाषा का कहा वैसे ही मन का जानना ॥ ११ ॥ अहो भगवन् ! पहिले मन भेदार जाता है, मनन करते मन भेदा जाता है अथवा मनन समय व्यतीत हुए पीछे मन भेदा जाता है ! अहो गौतम! जैसे भाषा का कहा वैसे ही मन का जानना ॥ १२ ॥ अहो गौतम ! मन के कितने भेद कहे अहो मौतम ! मन के चार भेद कहे. सत्य मन, मृषा मन, सत्य मृषा, व असत्य मृषा मन ॥ १३ ॥
अनुवादक बालब्रह्मचारी पुनि श्री अमोलक ऋषीजी +
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *