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शब्दार्थ भाषा ॥५॥ पु० पहिली भं० भगवन् भ० भाषा भा० भाषा भा० बोलाती भा० भाषा भा० भाषा स० समय,
वी० पीत हुइ भाषा गो० गौतम को नहीं पु० पहिली भाषा भा० बोलाती भा० भाषा णो नहीं भा० भाषा स समय वी० व्यतीत हुइ भा० भाषा ॥ ६॥ पु० पहिले भं० भगवन् भा० भाषा भि० भेदावे
भा० बोलाती मा० भाषा भि० भेदावे भा. भाषा समय वी० व्यतीत हुई भा. भाषा भि. भेदावे गो०१ E गौतम नो० नहीं पु. पहिले भा० भाषा भि० भेदावे भा० बोलाती भा० भाषा भि० भेदावे को नहीं
भासिज्जमाणी भासा, भासासमयवीइकता भासा ? गोयमा ! णो पुट्विं भासा । भासिजमाणी भासा, णो भासासमयवीइक्ता भासा ॥६॥ पुद्वि भंते ! भासा भिज्जइ, भासिज्जमाणी भासा भिजइ; भासा समयवीइकता भासा भिजइ ? गोयमा ! णो
49 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
.प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवमहायजी ज्वालापसादजी .
भावार्थ
से बोले जाते हैं और ताल्यादि स्थान, जीवाश्रित है ॥॥ अहो भगवन् ! बोले पहिले भाषा, बोलाती हुइ भाषा, अथवा भाषा समय व्यतीत हुवे पीछे क्या भाषा कहना ? अहो गौतम ! बोले पहिले भाषा नहीं होती है मृत्पिण्ड अवस्था में घटवत् परंतु बोलाती हुई भाषा कही जाती है. घट की अवस्था में घट कहा जावे. और बोलने का समय व्यतीत, हुए पीछे भापा नहीं होती है. ॥६॥ अहो भगवन् ! भाषा क्य पहिले भेदाती है, बोलाती हुई भेदाती है अथवा भाषा समय व्यतीत हुए पीछे भाषा भेदाती है?