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शब्दार्थ
मापा ॥२॥स. सचित्त मं० भगवन् भा० भाषा अ० अचित्त भा० भाषा गो. गौतम णो० नहीं स० सचित्त भा० भाषा ॥ ३ ॥ जी• जीव • भगवन् भा० भान अ० अजीव प्रा. भाषा गो० गौतम णो० नहीं जी० जीव भा० भाषा अ० अजीव भा० भाषा ॥ ४ ॥ जी० जीव को भं० भगवन भा. भाषा:
૧૮૮૯ F० अजीव को भा. भाषा गो• गौतम जी जीव को भा० भाषा को नहीं अ. अजीव को भा० ."
भासा णो अरूवीभासा ॥ २ ॥ सचित्ता भंते ! भासा मचित्ता भासा ? गोयमा ! } } णो सचित्ता, अचित्ता भासा ॥ ३ ॥ जीवा भंते ! भासा अजीवा भासा ? गोयमा।
णो जीवा भासा, अजीवा भासा ॥ ४ ॥ जीवाणं भंते ! भासा, अजीवाणं भासा ?
गोयमा ! जीवाणं भासा णो अजीवाणं भासा ॥ ५ ॥ पुर्वि भंते ! भासा, भावार्थ परमाणु वायु पिशाचादि रूपवंत होने पर चक्षग्राह्य नहीं है. इसलिये भाषापुद्रलमयी होने से रूपी है परंतु,
अरूपी नहीं है ॥ २ ॥ अहो भगवन् ! भाषा क्या सचित्त है या अचित्त है ? अहो गौतम ! भाषा सचित्त नहीं है परंतु अचित्त है. क्यों की जीव से नीकले हुवे पुद्गलों की भाषा होती है: ॥३॥ अहो।
भगवन् ! क्या भाषा जीव है या अजीव है ? अहो गौतम ! भाषा जीव नहीं है परंतु अजीव है. क्यों ॐ की भाषा को उश्वासादि माणों का अभाव है ॥ ४ ॥ अहो भगवन् ! जीव को भाषा है या अजीव +को भाषा है? अहो गौतम ! जीव को भाषा है परंतु अजीव को भाषा नहीं होती है. अक्षरों ताल्वादि स्थान ।
48+ पंचमांगविवाह पण्णनि ( भगवती ) सूत्र
तेरहवा शतक का सातवा उद्देशा 438
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