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जा जागरणा जा- जागते अ. इसरूप अ. चितवन जा. यावत् स० उत्पन्न हुवा अ० मैं उ० उदायन
का पु० पुत्र प० प्रभावती का अ० आत्मज तक तब मे० वह उ. उदायन राजा म. मुझे अ० छोडकर Eणि अपना भा० भाणजा के० केशी कुमार को र० राज्य में ठा० स्थापकर साश्रमण भ० भमवन्त म. श्री
महावीर की जा. यावत् प० प्रवा अंगीकार की इ० इस ए० इमरूप म बडी अ० प्रीतिरहित म०
मोविकार दु० दःख से अ० पराभवपाया हुवा अं० अंत:पुर ५० परिवार से सं० घेराया हुवा स० भांडे है म० पात्र उ० उपकरण आय लेकर वी० वीतिभय न - नगर से णि नीकलकर पु० पूर्वानपूर्व च० चलता
अहं उदायणस्स पुत्ते पभावईए देवीए अत्तए तएणं से उदायणे राया ममं अवहाय णियगं भायणिज केसीकुमारं रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव षत्वइत्तए, इमेणं एयारूबेणे महता अपत्तिएणं मणोमाणसिएणं दुखणं अभिभूए समाणे अंतेउर परियाल संपरिवुड़े सभंडमत्तोवगरण मादाय वीइभयाआ णयराओ
णिग्गच्छइ, णिग्गच्छइत्ता पुन्गणुपुचि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव भावार्थ नागरगा जागते हुवे ऐमा अध्यवसाय हुवा कि मैं उदायन का पुत्र हूं और प्रभावती देवी का आत्मज हूं.
उदायन राजा मुझे छोडकर अपना भाणजा को राज्य देकर श्री श्रपण भगवंत महावीर स्वामी की पास प्रत्रजित हवे. ऐसा अप्रीति कारक मानसिक दुःख से पराभूत होता हुवा अंत:पुर के परिवार सा
अनुवादक-बाल ब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदव सहायजी ज्वालाप्रसादजी *
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