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________________ शब्दार्थको को सी० श्वेत पी० एति क०कलश से शेष ज. जैसे ज जमाली का जा० यावत् स बैठे जा यावत् अ० अबाधात्रीण विशेष प. पद्मावती १० हंस लक्षण प० वख ग ग्रहणकर मे० शेष तं० तैसे जा यावत् सि० शिचिकासे प० उतरकर जे. जहां स० श्रमण भ. भगवन्त म. महावीर ते. तहां उ018 आकर स० श्रमण भ. भगवन्त म० महावीर को ति० तीन वक्त आप्रदक्षिणा जा० यावत् वं. वंदनकर ण नमस्कार कर उ० ईशान कौन में अ० जाकर स० स्वयं आ० आभरण अ० अलंकार तं० तैसे जा प० पद्मावती प० ग्रहण करे जा. यावत् घ. घटाना सा० स्वामिन् जा० यावत् णो० नहीं प०६० सेहिं ससं जहा जमालिस्स जाव सण्णिसण्णं, तहेव अम्मधाई, णवरं पउमावई हंस लक्खणं पड़साडणं गहाय सेसं तंचव जाव सिबियाओ पच्चोरुभइ, पच्चोरुभइत्ता जे____णेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छइत्ता समणं भगवं महावीर तिक्खत्तो जाव वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता उत्तरपरच्छिमं दिसीभागं अरक्कमइ, अवक्कमइत्ता सयमेव आभरण मल्लालंकारं तंचव जाव पउमावई पडिच्छइ जाव घडि- . भावार्थ दुःखिनी हुइ ॥ १४ ॥ पुनः केशी राजाने उत्तराभिमुख सिंहासन बनाकर उदायन राजा को बैठाय श्वेत विपीले कलशों से स्नान यावत् जमाली की तरह शिविका में बैठाये, और अम्माधात्री पात्र में बैठी. इतना विशेष कि पद्मावती रानी हंस समान श्वेत वस्त्र ग्रहण कर बैठी. और सब कथन पूर्वोक्ता | जैसे कहना, यावत् शिविका में से उतरकर श्रमण भगवंत महावीर स्वामी की पास गये और श्रमण भग अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी - .प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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