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शब्दार्थ
सूत्र
भावार्थ
do
'० नगर में ते० तहां पर उद्यत हुवा ग० जाने को त० तब उः उस उ० उदायन र राजा को अ० इमरूप अ० चितवन जा० यावत् स० उत्पन्न हुआ ए० ऐसे अ० अभीचि कुमार म० मुझे ए० ( एक पु० पुत्र इ० इष्ट कं० कांत जा० यावत् पा० देखने को त० उस को ज० यदि अ० मैं अ० अभीवि कुमार भगवन्तम० महावीर की अं० पास
मुं० गुंड
ज
यी अंगीकार करूं त तब अ० अभीचि कुमार २० अज्झत्थिए जाव समुप्यजिथा एवंखलु अभीइकुमारे मम एगे पुत्ते जाव किमंगपुण पासणयाए तं जइणं अहं अभीइकुमारं रजे ठावेत्ता, समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिथं मुंडे भवित्ता जान पव्वयामि तओणं अभीइकुमारे रज्जेय रट्ठेय जात्र जणवएय माणुस कामभोगेस मुछिए गिद्धे गढ़िए अज्झोववण्णे अणादीयं अणवदरगं दोहमद्धं चाउरंत संसार कतारं अणुरियहिस्सति ॥ तं णो खलु मे सेयं अभीइकुमारं कर तय नगर में जाने को तैयार हुआ. उस समय में उदायन राजा को ऐसा अध्यवसाय हुदा कि अभिचार मेरा एक पुत्र इष्टकारी कान्तकारी मनोज्ञ है. उस का दर्शन दुर्लभ है इस - लिये यदि मैं अभिचिकुमार को राज्य पर स्थाप कर प्रत्रजित होऊंगा तो अभीचिकुमार राज्य मनुष्य संबंधी काम भोगों में मूच्छित हो कर गृद्ध हो जायेगा. इस तरह गूद्ध वनकर अनादि अनंत दीर्घ
६०३ अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
* वादक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी
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