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________________ अनुबादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषीजी पालता स० श्रमणोपासक अ. जाने जी0 जीव अजीव जा. यावत वि. विचरता है ॥६॥ त० तब 5 से वह उ० उदायन रा० राजा अ० एकदा जे० जहां पो० पौषध शाला ते. तहां उ० आकर ज. जैसे भी सं० शेख जा. यावत् वि. विचरता है तब तक उस उ० उदायन र० राजा को पु० पूर्व र० रात्रि में ध० धर्म जा० जागरणा जा० जागते अचितवन जा. यावत स० उत्पन्न हुवा ध० धन्य ते. उन गा२१ ग्राम आ० आगर न० नगर खे० खड क. कर्वट म० मडंब दो० द्रोण मुख प० पाटन आ० आश्रम सं० संवाह संसन्निवेश ज. जहां स. श्रमण भ० भगबन्त म. महावीर वि० विचरते हैं ध० धन्य ते०वे राक जीवाजीवे जाव विहरइ ॥ ६ ॥ तएणं से उदायणे राया अण्णयाकयाई जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छइत्ता जहा संखे जाव विहरइ ॥ तएणं तस्स उदायंणस्स रपणो पुव्यरत्तावरत्त काल समयंसि धम्म जागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पजित्थिा धण्णाणं ते गामागरनगरखेडक- . व्वड मडंवदोणमुहपट्टणासमसंवाहसंण्णिवेसा जत्थणं समणे भगवं महावीरे बंध राजा और इन सिवाय अन्य अनेक राजेश्वर, तलवर, सार्थवाह आदि का अधिपतिपना करता हुवा श्रमणोपासक बनकर जीवाजीव का स्वरूप जानता हवा विचरता था ॥६॥ एकदा वद्द उदायन राजा पौषधशाला में शंख श्रमणोपासक जैसे पौषध करते विचरने लगा. वहां पर पूर्वरात्रि में धर्म जागरणा * प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी* भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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