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सूत्र
शब्दार्थी
के फेशीकुमार हो' था मु० सुकुमार जा. याबस् मु० सरूप से० वा उ. उदायन रा० राजा सिं० सिंधु मो मौवीर 40 प्रमुख सो. मोलह ज.देश का वी. वीतिभय पा० प्रमुख तिः तीन ते. तेसठ .
ण नगर आ० आगार स० शन का म. महासेन पा० प्रमुख द० दश रा० राजा के 10 मुकुट वि०विस्तीर्ण छ छत्र चाचामर वाचालव्यंजन अ० अन्य १०बहुत रा०राजा ई०एईश्वर तक तलवर जा च यावत् स सार्थवाह ५० प्रभृतिका आ० आधिपत्य पो० अग्रेसर पना जा० यावत् का० कराता पा० है माल जाव सुरूवे ॥ सेणं उदायणे राया सिंधुसोवीरप्पामोदखाणं सोलसण्हं जणवयागं
वीइभयप्पामक्खिाणं तिहतेन्ट्रीणं गरागरसयाण. महसेणप्पामोक्खाणं दसण्द्रं राईणं बद्धमउडाणं, विदिण्णछत्त चामर बालवीयणाणं अण्णेसिंच बहुणं राईसरतलवर
जाव सत्थवाहप्पभिईणं आहेबच्चं पोरेवच्चं जाव कारेमाणे पालेमाणे समणोवासए आभगय दूगरानी थी वह वर्णन योग्य यावतू विचरती थी. उस उदायन राजा को प्रभावती रानी से उत्पन्न हुवा अभिचि कुमार था. वह मुकोमल हस्त पांववाला वगैरह शिवभद्र कुमार जैसा वर्णन योग्य यावत् राज्य की चिन्ता करता हुवा रहता था. उस उदायन राजा को केशी कुमार नाम का भाणजा था वह भी मुकमार यावत् वर्णन योग्य था. वह उदायन राजा सिन्धु सौवीर प्रमुख सोलह देश व वीतिभय प्रमुख तीन सो सठ नगर और आगर का राजा था. विस्तीर्ण छत्र, चामर व चालव्यंजनवाले महासेन प्रमुख दश मुकट ।
पंचगङ्गविवाद पणारी (भगवती ) सत्र
तेरहवा शतक का छठा उद्देशा <Boss
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