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________________ 4980 शब्दार्थ 4 चमर चंचा आ० आवास ५० पर्वत की अ० अन्य ब० बहुत से शेष तं० तैसे जा. यावत् ते० तेरह । अं अंगुल अ० अर्ध अंगुलं किं किंचित् वि. विशेषाधिक ५० परिधि ती. उस च० चमर चंचा रा० राज्यधानी की दा. नैऋत्य कोन में छ० छ को क्रोड स० शत १० पंचावन को क्रोड ५० पेंतीस स० लाख प० पच्चास स. सहस्र अ० अरुणोदक स० समुद्र में ति तीर्छा वी० उल्लंघन करे ए० तहां च. चमर अ० असुरेन्द्र अ. असुर राजा का च० चमर चंचा आ० आवास प.प्ररूपा च० चैरामी तेरसय अंगुलाई अद्धंगुलं किंचिविसेसाहिया परिक्खेवेणं : ॥ तीसेणं चमर । चंचाए रायहाणीए द्वाहिणपञ्चत्थिर छोडिसए अण्णपण्णेच बोडीओ. पणतीमंत्र सयसहस्सा, पण्णासंच सहस्साइं अरुणोदगसमद्दे तिरियं वीतीवइत्ता, एत्थणं चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो चमरचंचा णामं आवासे पण्णत्ते, चउरासीइं जोअणसहस्साई आयामविक्खंभेणं दोजोअणायसहस्सा पण्णढेिच सहस्साई छच्च बत्तीसे जोअणसए भावार्थ बगेरह शेष पूर्वोक्त जैसे कहना यावत् तीन लाख, सोलह हजार दोसो बत्तीस योजन, तीन कोस दोसो अठा-go वीस धनुष्य साढे तेरह अंगुल से कुछ अधिक परिधि कही. उस चमरचंचा राज्यधानी की नैऋत्य कौन में १५५३५५०००० योजन अरुणोदय समुद्र में तीर्छा जावे वहां चमर असुरेन्द्र का चमरचंचा आवास कहा है. वह चौरासी हजार योजन का लम्बा चौडा कहा है, दो लाख पेंसव हजार छसो बत्तीस । पंचमाङ्ग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र 488 तेरहवा शतक का छठा उद्देशा +8
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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