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________________ शब्दार्थ १.८५८ 48 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी + हैं णि निरंतर वे. वैमानिक च० चवते हैं ॥१॥ क० कहां भ० भगवन् च० चमर अ. अमुरेन्द्र अ० असुर राजा का च. चमर चंचा आ० आवास प० प्ररूपा गो० गौतम जं. जंबूद्वीप में मं० मंदर में १६० पर्वत की दा० दक्षिण में अ० असंख्यात दी० द्वीप स० समुद्र ए. ऐसे ज, जैसे वि० दुसरा शतक में स० सभा उ• उद्देशा में व० वक्तव्यता स० सर्व अ निर्विशेष ० जानना ण' विशेष इ. यह णा. विशेष जा. यावत् ति तिगिच्छकूट के उ० उत्पात ५० पर्वत की च• चमर चंचा रा० राज्यधानी च. णिरंतरंपि वेमाणिया चयति ॥ १ ॥ कहिणं भंते ! चमरस्स अमरिंदस्स असुररण्णो ज, चमरचंचा णामं आवासे पण्णत्ते ? गोयमा ! जंबूद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहि. णेणं असंखेजे दीवसमुद्दे एवं जहा बितियसए सभाउद्देसए बत्तव्वया सव्वेव अपरिसेसा गेयव्वा, णवरं इमं णाणत्तं जाव तिगिच्छि कूडस्स उप्पायपव्वयस्स चमर चंचा रायहाणी चमरचंचस्स आरास पव्वयस्स अण्णेसिंच वहणं सेसं तंचेव जाव वैमानिक चाते हैं ॥१॥ अहो भगवन् ! चमर नामक असुरेन्द्र का चवरचंचा नापक आवास कहां कहा है ? अहो गौतम ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप मेरुपर्वत की दक्षिण में असंख्यात द्वीप समुद्र उल्लंब कर जावे इत्यादि । सब कथन दूसरे शतक के आठवे सभा उद्देशे में जैसे कहा वैसे सब ही यहां जानना यहां पर इतना विशेष जानना कि तिगिच्छकूट, उत्पात पर्वत, चमरचंचा राज्यधानी, चमरचंचा आवास पर्वत और अन्य भी बहुत . प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * भावाथे
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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