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________________ सूत्र Hot 84 १८४७ भावार्थ पंचमांगविवाह पण्णनि (भगवती ) सूत्र पदेसे ओगाढे तत्थ केवइया धम्मत्थिकायपदेसा ओगाढा ? णथि एकोवि, केवइया अहम्मत्थिकायपदेसा ओगाढा एक्को, केवइया आगासत्थि कायपदेसा ओगाढा ? एक्को ॥ केवइया जीवत्थिकायपदेसा ? अणंता ॥ केवइया पोग्गलत्थिकाय पदेसा ? अणंता ॥ केवइया अद्धा समया ? सिय ओगाढा सिय णो ओगाढा जइ ओगाढा अणता ॥ २१ ॥ जत्थणं भंते ! एगे 'अहम्मत्थिकायपदेसे ओगाढे तत्थ केवइया धम्मत्थिकायपदेसा ओगाढा ? एक्को ॥ केवइया अहम्मत्थि ? णत्थि का एक प्रदेश अवगाहकर रहा है वहां धर्मास्तिकाया के अन्य कितने प्रदेश अवगाहकर रहे हैं? अहो गौतम एक भी प्रदेश अवगाहकर रहे नहीं हैं. अहो भगवन्! कितने अधर्मास्तिकाया के प्रदेश अवगाहकर रहे हैं ? अहो गौतम! एक प्रदेश. अहो भगवन्! कितने आकाशास्तिकायके प्रदेश अवगाहकर रहे हैं ? अहो गौतम एक अहो भगवन्! जावीस्तिकाया के कितने प्रदेश अवयाहकर रहे है? अहो गौतम! अनंत प्रदेश, पुट्ठलास्ति काय के भी अनंत प्रदेश. अद्धा समय के समय क्षेत्र आधी अवगाहकर रहे हुवे हैं और समय । बाहिर अवगाहकर नहीं रहे हुवे हैं जब रहे हुवे हैं तब अनंत अद्धा समय अवगाहकर रहे वे हैं. ॥२१॥ अहो भगवन् ! जहां एक अधर्मास्तिकाया का प्रदेश अबगाहकर रहा हुवा है वहां कितने धर्मा मस्तिस्य के प्रदेश अवगाहकर रहे हुवे हैं ? अहो गौतम ! एक प्रदेश. अधर्मास्तिकायाका एक भी प्रदेश तरहवा शतकका चौथा उद्दशा 94.84
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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