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* संकीर्ण ने उन न० नरक में णे. नारकी छ. छठी त० तमा पु. पृथ्वी के णे. नारकी से म० महाकर्म |
वाले म०महाक्रिया वाले मं० पहा आश्रा वाले, म. महावेदना वाले गो० नहीं त• तथा अ• अल्प कर्म | वाल अ० अल्पाक्रया वाले अ• अल्प आश्रा वाले अ० अल्प वेदना वाले अ० अल्प ऋद्धिवाले अ010
अल्पति वाले णो नहीं म० बडी ऋद्धिताले णा नहीं म• महाद्युति वाले छ० छठी न० तमा पु० पुथ्वी । में ए० एक पं० पांच कम णि. नरकावास स० शत सहस्र ५० प्ररूपे ते वे ण नरकावास अ० अधो
णरएमु गैरइया छट्ठीए तमाए पुढवीए णेरइएहितो महाकम्मतरा चेव महाकिरियतरा __ घेव, महासवतरा चेव,महावेयणतरा चेव, णो तहा अप्पकम्मतरा चेव, अप्पकिरियतरा
चेव, अप्पासवतरा चेव, अप्पवेयणतरा चेव ४, अप्पिड्डियतरा चेव अप्पजुत्तियतरा है चेव णो तहा महिट्ठियतरा चेव णो महज्जुत्तियतरा चेव २ छट्ठीएणं तमाए पुढवीए
एगे पंचणे णिरयावास सयसहस्से पण्णत्ता तेणं णरगा अहे सत्तमाए पुढवीए णरएहितो अपेक्षा से महा कवाले हैं कायिक्यादिक क्रिया की अपेक्षा सै महा क्रियावाले ,, महा आश्रयवाले व महा वेदनावाले हैं परंतु छठी नारकी के नेरये जैसे अल्प कर्मवाले, अल्प क्रियावाले, अल्प आश्रव व अल्प वेदनावाले नहीं हैं. वे अल्प ऋद्धिवाले व अल्प द्युतिवाले हैं बहुत ऋद्धिवाले व बहुत द्युतिवाले नहीं है। छठी तमा नामक नरक में पांच का एक लाख नरकावास कहे हैं. वे नरकावास मातवी तमतमा पृथ्वी के ।
पंचमान विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र
तरह शाकका चौथा उद्देशा