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________________ minaamanna पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र kage 1 commmmmmmmm गोयमा ! तीस णिस्यावाससयसहस्सा पण्णत्ता ॥२॥ तेणे भंते ! किं संखेजवित्थडा असंखेजवित्थडा ? गोयमा ! संखेज्जवित्थडावि, असंखेजवित्थडावि ॥ ३ ॥ इमीसेणं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए णिरयावाससयसहस्सेसु संखेज • वित्थडेसु णरएसु एगसमए केवइया गेरइया उववजंति १ केवइया काउलेस्सा उक्यजति पुच्छा २ केवइया कण्हपक्खिया उववजंति ३, केवइया सुक्कपक्खिया उववज्जति १, केवइया सण्णी उववजंति ५ केवइया असण्णी उववजति ६; केवइया भवसिद्धिया जीवा उववज्जति ७, केवइया अभवसिद्धिया जीवा उववजंति ८, गौतम ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी में तीस लाख नरकावास कहे हैं. ॥२॥ अहो भगवन् ! वे नरकाबास संख्यात योजन के विस्तारवाले हैं या असंख्यात योजन के विस्तार वाले हैं ? अहो गौतम ! संख्यात योजन के विस्तार वाले भी हैं और असंख्यात योजन के विस्तार वाले भी हैं ॥३॥इस रत्नममा पृथ्वी के तीस लाख नरकावास में से संख्यात योजन के विस्तार वाले एक २ नरकावास में कितने नारकी उत्पन्न होते हैं, कितनेक कापुत लेश्या वाले हैं, कितने कृष्ण पक्ष वाले उत्पन्न होते . १ अर्धपुद्गलपरावर्तन से अधिक संसार परिभूमण करने का जिन को होता हे वे कृष्ण पक्षीकहाते हैं. . भावार्थ रातकका पहिला उद्देशाg: । *
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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