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सव्व देसे आदितु सब्भावपजवे-देसे आदिटे असब्भावपज्जवे, एवं दुयसंजोगे सत्वे.. पडंति, तिया संजोंगे एकोनपडंति ॥ छप्पदेसिया सवेपर्डति ॥ जहा छप्पदेसिए एवं जाव अणंतपदेसिए । सेवं भंते भंतेत्ति ! जाव विहरइ ॥ दुवालसम सयस्सय
देसमो उद्देसो सम्मत्तो ॥ १२॥ १० ॥ दुवालसमं सयं सम्मत्तं ॥ १२॥ १२ भांगे होते हैं. सब मीलकर १५ हुवे और तीन मयोगी में पहिला एक भांगा छोडना. शेष सात भांगे होवे. छ प्रदेशिक स्कंध में २३ भांगे होते हैं. जैसे छ प्रदेशी स्कंध का कहा वैसे ही अनंत प्रदेशी;स्कंधका
जानना. अहो भगवन् ! आप के वचन मत्य है. यह वारहवा शतक का दसवा उद्देशा समाप्त हुवा E.॥४॥ १० ॥ यह बारहबा शतक संपूर्ण हुवा ॥ १२ ॥
भावार्थ
पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भवगती ) सूत्र का
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बारहवा. शतकका दशका उद्देशा