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निःश्री अंबालक ऋपिजी.
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. : ओय अवत्तव्यं, आयातिय णो आयातिय १८, देसा आदिला सब्भावपजवा देसे. .
आदिट्टे असब्भावपज्जवे देसे आदिट्रे तदुभयपज्जवे चउप्पदेसिए खंधे आयाओय णो । E: आयाय अवत्तव्यं, आयातिय णों आयातिय १९, ॥ से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ :
चउप्पदेसिए खंधे सिय आया सिय णो आया सिय अवत्तव्यं, निक्खेवे एते चेव । भंगा उच्चारयव्वा जाव णो आयातिय ।आया भंते ! पंचपदेसिए खंधे अण्णे पंच पदेसिए खंधे ? गोयमा ! पंच पदेसिए खंधे सिय आया सिय णो आया सिय अवत्तव्वं आयातिय णो आयातिय ३, सिय, आयाय णो आयाय ४, सिय आयाय अवत्तव्यं णो आयाय अवत्तव्वं ४. तिय संजोगे एक्का न पडति, से केणट्रेणं भंते! तंचव उच्चारेयव्वा ?
गोयमा ! अप्पणो आदिट्रे आया, परस्स आदितु णो आया, तदुभयरस आदिढे अवपर्याय चतुष्क प्रदेशिक स्कंध आत्मा नो आत्मा अवक्तव्य. अहो गौतम ! इसी कारन से चतुष्क प्रदेशी स्कंध में १९. भांगे पाते हैं. अहो भगवन् ! आत्मा पांच प्रदेशिक स्कंध है या अन्य पांच प्रदेशिक स्कंध है ? अहो गौतम ! पांच प्रदेशिक स्कंध में क्वचित् आत्मा क्वचित् नो आत्मा क्वचित् अवक्तव्य यों बावीस विकल्प होते हैं. अहो भगवन् ! यह किस कारन से कहा है कि पांच प्रदेशिक स्कंध में बावीस विकल्प होते हैं? अहो गौतम! स्वपर्याय से आत्मा, पर पर्याय से नो आत्मा उभय पर्याय से अबक्तव्य देश आश्री स्वपर्याय देश आनी पर पर्याय ऐसे द्विलंयोगी ।
*.प्रकाशक-रानाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी...
भावार्थ
मनुवादक-बालब्रह्मचारी
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