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पंचांग विवाहपण्णत्ति ( भगवती ) मूत्र
अवत्तव्वं आयातिय णो आयातिय ११, से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ चउप्पदेसिए खंधे सिय आयाय णो आयाय अवत्तव्वं, तंचव अट्टे पडिउच्चारेयत्वं, गोयमा ! अप्पणो आदिट्टे आया, परस्स आदिटे णोआया, तदुभयस्स आदिढे अवत्तव्वं, देसे आदिवै सम्भावपज्जवे, देसे आदिट्रे असब्भावपजवे चउभंगो । सम्भावणं तदुभएणय चउभंगो । असब्भावणं तदुभएणं चउभंगो । देसे आदितु सब्भावपनवे देसे आदिट्टे, तदुभयपज्जवे चउप्पदेसिए खंधे आयाय णो आयाय अवत्तवं, आयातिय णो आयातिय १६,॥ देसे आदितु सम्भावपजवे, देसे आदिट्टे असब्भावपजवे, देसा आदिट्ठा तदुभयपज़वा चउप्यदेसिए खंधे आयाय णो आयाय अवत्तव्याइं आयाय णो आयाय १७,देसे आदिदे सम्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा असम्भावपज्जवा देसे आदिद्वै तदुभयपज्जवे चउप्पदेसिए खंधे आयाय णो आया
देश आश्री स्वपर्याय देश आश्री पर पर्याय और देश आश्री उभय पर्याय चतुष्क प्रदेशिक स्कंध पतमा नो आत्मा अरक्तव्य १७ एक देश आश्री स्वपर्याय एक देश आश्री पर पर्याय अनेक देश आश्री उभय पर्याय चतुष्क प्रदेशिक स्कंध आत्मा नो आत्मा ऐसे अनेक वचन में अवक्तव्य १८ देश आश्री स्वपर्याय अनेक देश आश्री पर पर्याय एक देश आश्री उभय पर्याय चतुष्क प्रदेशी स्कंध आत्मा नो आत्मा अबक्तव्य १९ अनेक देश आश्री स्वपर्याय एक देश आनी पर पर्याय एक देश आश्री उभय है।
48148वारहवा शतकका नववा उद्देशा
भावा
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