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आयातिय णो आयातिय ११, सिय पो आयाओय अवत्तव्यं आयातिय णो आया. तिय १२, सिय आयाय, णो आयाय अवत्त आयातिय णो आयातिय १३, ॥ से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ तिपदेसिए खंधे सिय आया एवं चेव उच्चारेयव्वं जाव सिय आयाय णो आयाय अवत्तवं आयातिय णो आयातिय ? गोयमा ! अप्पणो आदि? आया, परस्स आदिद्वे णो आया, तदुभयस्स आदिटे अवत्त आयातिय णो आयातिय ॥ देसे आदिट्टे सब्भाव पज्जवे देसे आदिटे असन्भाव पजवे तिपदेसिए
खंधे आयातिय णो आयातिय ४, देसे आदितु सब्भाव पज्जवे देसा आदिट्ठा असभावार्थ वचन में आत्मा इति नोआत्मा इति काचित नो आत्मा एकवचन में अवक्तव्य ११ अनेक पचनमें आत्म
इति नोमात्मा इति एक वचन में आत्मा अवक्तव्य है १२ एक वचन में आत्मा इति यहां बहुचन अवक्तव्य और १३ काचित आत्मा एक वचन में. अहो भगवन् ! किस कारन से ऐसा कहा गया है कि तीन प्रदेशिक स्कंध आत्मा है यावत् एकवचन में आत्मा, नो आत्मा, व अबक्तव्य ऐसे तेरह भांगे पाते हैं. १ अहो
गौतम ! अपनी पर्यायापेक्षा आत्मा, परपर्यायापेक्षा नोआत्मा, उभय पर्यायापेक्षा आत्मा नोआत्मा ४ 17 देश आश्री स्वपर्याय देश आश्री १रपर्याय त्रिमदेशिक संघ आत्मा नो आत्मा इति ५ एक देश साश्री
8+ पंचांग विवाह पण्णति (भगवती.) मूत्र 48
११ बारहमा शतक का दशा