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...14 सियआया, १ सियणोआया, २ सियअवत्तन्वं, आयातिय णो आयातिय ३,सिय आयाय -
णो आयाय ४, सियआयाय णो आयाओय ५, सियआयाओय णो आयाय ६, सियआयाय अवत्तव्यं आयातिय णे आयातिय १, सिय आयाया अवत्तव्वाइं आयातिय : णो आयातिय ८, सिय आयाओय अवत्तव्यं आयातिय णो आयातिय ९, सिय
प्पो आयाय अवत्तव्वं आयातिय णो आयातियः १०, सिय णो आयाय अवत्तव्वाइं . भावार्थ
मीला हुवा द्विपदेशात्मक स्कंध आत्मा इति अनात्मा इति होने से. आत्मा की अवक्तव्यता है और ६. एक छ देश असद्भाव पर्यायवाला है और दूसरा देश उभय पर्यायवाला है इस से नो आत्मा की अबक्तव्यता होती है. इस से अहो गौतम! उक्त छ भांगे द्विपदेशिक स्कंध आश्री कहे हैं. अहो भगवन ! आत्मा त्रिप्रदेशिक स्कंध है या अन्य त्रिदेशिक स्कंध है ? अहो गौतम ! त्रिप्रदशिक स्कंध में तेरह भांगे होते हैं. १ त्रिप्रदेशिक स्कंध काचित् आत्मा २ क्वचित् अनात्मा ३ क्वचित् अवक्तव्य ४ क्वचित् एकवचन से आत्मा और क्वचित् एक वचन से अनात्मा ५ क्वचित् आत्मा एक वचन से अनात्सा अनेक वचन से ६ क्वचित् आत्मा पृथक्त्व वचन से अनात्मा एक वचन से ७ क्वचित् एक वचन से आत्मा इति अनात्मा इति एक वचन में अवक्तव्य ८ क्वचित् अनेक वचन से आत्मा इति अनात्माइति एक वचन में आत्मा भवक्तव्य ९ क्वचित् एक वचन में आत्माइति अनात्माइति आत्मा पृथक्त्व वचन में अवक्तव्य १० एक ।
* अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
*प्रकाशकराजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी*