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________________ सूत्र भावार्थ * पंचमाङ्ग विवाह पण्णति ( भगवती सूत्र आयातिय ६ ॥ से केणटुणं भंते! एवंचेत्र जाव णो आयाय अवतव्वं आयातिय णो आयातिय ? गोयमा ! अप्पणो आदिट्ठे आया, परस्स आदिट्ठे णो आया, तदुभयस्स आदिट्ठे अवत्तव्यं दुपदेसिए खंधे आघातिय णो आयातिय, देसे आदिट्ठे सम्भावपज्जवे, दे से आदिट्ठे असब्भाव पज्जवे दुपदेसिए खंधे आयातिय णो आयातिय देसे अब्भाव पजवे देसे आदिट्ठे उभओपज्जवे दुपदेसिए खंधे आयाय अवत्तव्यं आयातिय णो आयातिय ५, देसे आदिट्ठे असम्भावपज्जवे देते आदिट्ठे तदुभयपज्जत्रे दुपदेसिए खंधे णो आयाय अवत्त आयातिय णो आयातिय ६, से तेणट्टेणं तंचेव जाव णो आयातिय ॥ आया भंते! तिपदेलिए खंधे अण्णे तिपदेसिए खंधे ? गोयमा ! तिपदेसिए खंधे. { असत्तागत पर्याय से क्वचित् आत्मा क्वचित् नहीं आत्मा ५ क्वचित् आत्मा अवक्तव्य और | क्वचित् नो आत्मा अवक्तव्य. अहो भगवन् ! यह किस तरह है ? अहो गौतम ! अपनी पर्यायापेक्षा द्विपदेशिक स्कंध आत्मा है पर पर्यायापेक्षा द्विमदेशिक स्कंध अनात्मा है और } दोनों की अपेक्षा से अवक्तव्य, एक देश स्वपर्याय की अपेक्षा से आत्मा दूसरा देश पर पर्याय की ( अपेक्षा से अनात्मा इस से दोनों का मीला हुवा द्विपदेशात्मक स्कंध आत्मा अनात्मा दोनों है. ५ एक | देश सद्भाव पर्यायवाला है और दूसरा देश सद्भाव व असद्भाव ऐसी उभय पर्यायवाला है इस से दोनों का 4- बारहवां शतक का दसवा उद्देशा 42 १७८७
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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