SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1804
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७७४ 402 अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी - गोयमा ! णत्थि. अंतरं भावदेवाणं पुच्छा ? गोयमा ! जहणणं अंतो मुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं वणस्सइकालो ॥ ८ ॥ एएसिणं भंते ! भवियदव्व देवाणं णरदेवाणं जाव भावदेवाणय कयरे २ हिंतो जाब विसेसाहियावा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा णरदेवा, देवाहिदेवा संखेजगुणा, धम्मदेवा संखजगुणा, भविय दवदेवा असंखेजगुणा, भावदेवा असंखेजगुणा, ॥ ९ ॥ एएसिणं भंते ! भावदेवाणं भवणबासीणं, वाणमंतराणं, जोइसियाणं, वेमाणियाणं, सोहम्मगाणं जाव अच्चुयगाणं गेवेज्जगाणं अणुत्तरोववाइयाणय कयरे कयरेहिता जाव विसेसाहियावा ? गोयमा ! देव का अंतर जघन्य प्रत्येक पल्योपम उत्कृष्ट देश ऊना अर्ध पुद्गल परावर्त, देवाधिदेव का अंतर नहीं है । और भावदेव जघन्य अंतर्मुहूर्न उत्कृष्ट अनंत काल ॥ ८ ॥ अहो भगवन् ! भविक द्रव्य देव, नरदेव, यावत् भावदेव में कौन किस से अल्प बहुत यावत् विशेषाधिक है ? अहो गौतम ! सब से थोडे नरदेव उस से देवाधिदेव संख्यातगुने उम से धर्मदेव संख्यानगुने उत से भविक द्रव्य देव असंख्यातगुने उस से 9 भावदेव असंख्यातगुने ॥ ९ ॥ अहो भगवन् ! भावदेवों में भवनवासी, वाणव्यंतर, ज्योतिषी, वैमानिक सौधर्म यावत् अच्युत ग्रैवेयक यावत् अनुत्तर विमान इनमें कौन किस से अल्प बहुत यावत् विशेषाधिक है ? प्रकाशक-राजावहादुर लाला मुखदेव सहायनी चालाप्रसादजी. भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy