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________________ tes पंचमांग विवाहपण्णत्ति ( भगवती) मूत्र 88+ चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कासेणं तिणि पलिओवमाइं, एवं जच्चेव तित्ती सच्चेव संचिट्ठणावि जाव भावदेवा, णवरं धम्मदेवस्स जहण्णेणं एवं समयं उक्कोसेणं देसूणाई पुबकोडी ॥ ७ ॥ भवियदव्व देवस्सणं भंते ! केवइयं कालं अंतर होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवास सहस्साइं अंतोमुहत्त मब्भहियाई, उक्कासेणं अणतं कालं, वणस्तइकालो नरदेवाणं पुच्छा ? गोयमा ! जहण्णेणं साइरेगं सागरोवमं, उक्कोसेणं अणंतकालं अवढे पोग्गलपरियटुं देसूणं । धम्मदेवरसणं पुच्छा ? गोयमा ! जहण्णेणं पलिआवमपुहत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं जाव अवर्ल्ड पोग्गलपरियट देसूणं ॥ ३० ॥ देवाधिदेवाणं पुच्छा ? भविक द्रव्य देव भविक द्रव्य देवपने कितना कालतक रहता है ? अहो गौतम ! जघन्य अंतर्मुहूर्न उत्कृष्ट तीन पल्योपम यों जैसे पहिले भव स्थिति कही वैसे संचिठना काल जानना. परंतु धर्मदेव की जघन्य एक 00 समय उत्कृष्ट देश उना क्रोड पूर्व ॥ ७ ॥ अहो भगवन् ! भविक द्रव्य देव को कितना अंतर कहा ! अहो गौतम ! जघन्य अंतर्मुहून अधिक दश हजार वर्ष उत्कृष्ट अनंत काल वनस्पति आश्री, नरदेव का अंतर जघन्य एक सागरोपम अधिक, उत्कृष्ट अनंत काल अथवा देश ऊना अर्ध पुद्गल परावर्त कहना. धर्म, वारहवा शतकका नववा उद्देशा भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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