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________________ शब्दार्थ wwwwwwwwwwwwwww 29- पंचमाङ्ग विवाह पण्णत्ति (भगवती.) सूत्र - ॥५॥ अ० अथ भं० भगवन् दं दंक कं० कंक पि० पीलक मं• मंडूक सि० मोर णि निःशील से. तं. तैसे जा. यावत व. वक्तव्यता मि० होवे ॥ १२ ॥८॥ - क. कितने प्रकार के भं. भगवन् दे० देव प. प्ररूपे गोर गौतम पं० पांच प्रकार के दे० देव प. प्ररूपे तं० बह ज जैो भ० भनिक द्रव्यदेव न नादेव ध० धर्मदेव दे० देवादिदेव भा० भावदेव ॥ १॥ सेसं तंचर जाव वत्तब्बं सिया ॥ सेवं भंते भंतेत्ति ! जाब विहरइ ॥ दुवालसम१ सयस्सय अट्ठमो उद्देसो सम्मत्तो ॥ १२ ॥ ८ ॥ . + कइविहेणं भंते! देवा पण्णता? गोयमा ! पंचविहा देवा पण्णत्ता, तंजहा भवियदव्वदेवा, नरदेवा, धम्मदेवा, देवाधिदेवा, भावदेवा ॥ १ ॥ से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ भगवन् ! ढंक, कंक, पीलक, मण्डक, मयूर, शीलादि रहित होने से रत्नप्रभा पृथ्वी में एक सागरोपम की स्थिति से क्या नरक में उत्पन्न होते हैं ? भगवंतने उत्तरदिया कि हां गौतम ! वे नरक में उत्पन्न होते हैं. अहो भगवन् ! आप के वचन सत्य हैं यों कहकर संयम व तप से आत्मा को भावते हुवे भगवान् गौतम स्वामी विचरने लगे. यह बारहवा शतक का आठवा उद्देशा पूर्ण हुआ. ॥ १२ ॥ ८॥ ___ आठवे उद्देशे में देवों की उत्पत्ति कही. नववे उद्देशे में देवका ही कथन करते हैं. अहो भगवन् ! देव * के कितने भेद कहे हैं? अहो गौतम ! देव के पांच भेद कहे हैं. १ भविकद्रव्य देव २ नरदेव ३ धर्मदेव । *388 बारहवा शतकका नववा उद्देशा भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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