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मेगास असुरकुमारावाससि पुढवीकाइयत्ताए जाव वणस्सइ काइयत्ताए देवत्ताए देविताए आसणसयण भंडमत्तोवगरणत्ताए उववण्णपुव्वें ? हंता गोयमा ! जाव अणं. तखुत्तो ॥ सव्वजीवाविणं भंते ! एवं चेव, एवं जाव थणियकुमारेसु, णाणत्तं आवासेमु आवासा पुव्वभणिया ॥ ७ ॥ अयण्णं भंते ! जीवे असंखेजेसु पुढवी-काइयावास सयसहस्सेसु एगमेगांसि पुढवीकाइयावाससि पुढवीकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए उववण्ण पुव्वे ? हंता गोयमा! जाव क्खुत्तो॥ एवं सव्व जीवावि ॥ एवं जाव वणस्सइ
काइएसु ॥ ८ ॥ अयण्णं भंते ! जीवे असंखेजेसु बेइंदियावास सयसहस्सेसु एगमेबडे महा नरकावास का जानना ॥ ६ ॥ अहो भगवन् ! चौमठ लाख अमुर कुमार के आवास में से एक २ आवास में पृथ्वीकाय पने यावत् वनस्पतिकाय पने, देवपने, देवीपने, आसन, शयन,भंड, पात्र उपकरण पने का क्या पहिले यह जीव उत्पन्न हुधा ? हां गौतम ! अनेकवार व अनंतवार उत्पन्न हुवा. सब जीवों आश्री ope वैसे ही जानना जैसे अमरकुमार का कहा वैसे ही स्थनित कुरोंतक का अपन आवास अनुसार ? कहना ॥ ७ ॥ अहो भगवन् ! यह जीव पृथ्वीकाया के असर ताल में से एक २ आवास में क्या पृथ्वी-380 कायापने यावत् वनस्रतिकायापने पहिले उत्पन्न हुआ? हां गौतम ! अनेकवार व अनंतबार उत्पन्न
११- पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र
भावार्थ
बारहया शतकका सातवा सातवा 8