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________________ 4881 - मेगास असुरकुमारावाससि पुढवीकाइयत्ताए जाव वणस्सइ काइयत्ताए देवत्ताए देविताए आसणसयण भंडमत्तोवगरणत्ताए उववण्णपुव्वें ? हंता गोयमा ! जाव अणं. तखुत्तो ॥ सव्वजीवाविणं भंते ! एवं चेव, एवं जाव थणियकुमारेसु, णाणत्तं आवासेमु आवासा पुव्वभणिया ॥ ७ ॥ अयण्णं भंते ! जीवे असंखेजेसु पुढवी-काइयावास सयसहस्सेसु एगमेगांसि पुढवीकाइयावाससि पुढवीकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए उववण्ण पुव्वे ? हंता गोयमा! जाव क्खुत्तो॥ एवं सव्व जीवावि ॥ एवं जाव वणस्सइ काइएसु ॥ ८ ॥ अयण्णं भंते ! जीवे असंखेजेसु बेइंदियावास सयसहस्सेसु एगमेबडे महा नरकावास का जानना ॥ ६ ॥ अहो भगवन् ! चौमठ लाख अमुर कुमार के आवास में से एक २ आवास में पृथ्वीकाय पने यावत् वनस्पतिकाय पने, देवपने, देवीपने, आसन, शयन,भंड, पात्र उपकरण पने का क्या पहिले यह जीव उत्पन्न हुधा ? हां गौतम ! अनेकवार व अनंतवार उत्पन्न हुवा. सब जीवों आश्री ope वैसे ही जानना जैसे अमरकुमार का कहा वैसे ही स्थनित कुरोंतक का अपन आवास अनुसार ? कहना ॥ ७ ॥ अहो भगवन् ! यह जीव पृथ्वीकाया के असर ताल में से एक २ आवास में क्या पृथ्वी-380 कायापने यावत् वनस्रतिकायापने पहिले उत्पन्न हुआ? हां गौतम ! अनेकवार व अनंतबार उत्पन्न ११- पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र भावार्थ बारहया शतकका सातवा सातवा 8
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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