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शब्दार्थी मनोहर दे० देवी के मनोहर आ० आसन सः सयन खं० स्तंभ भ० भंडपात्र उ० उपकरण अ. आप
चं. चंद्र जो. ज्योतिषी राजा सो• सौम्य के मनोहर सु० मुभग पि० प्रियदर्शन सु० सुरूप से० वह 4 Vते. इसलिये जा. यावत् स. शशी ॥ ६ ॥ से वह के• कैसे मं• भगवन् ए. ऐसा वु० कहा जाता
|१.१४५ | स० सूर्य आ. आदित्य गो० गौतम स० समय आ० आवलिका जा. यावत् उ. उत्मर्पिणी अhoto
अवसपिणी से वह ते. इसलिये मा० गौतम आ० आदित्य ॥७॥०चंट भ० भगवन जो. ज्योतिषी है देवीओ, कंताई आसण सयण खंभ भंडमत्तोवगरणाई अप्पणा वियणं चंद जोइ.
सिंदे जोइसिराया सोमे कंते मुभगे पियदंसणे सुरूवे से तेणटेणं जाव ससी ॥ ६॥ __ से केण?णं भंते ! एवं बच्चइ-सूरे आइच्चे सूरे २ ? गोयमा ! सूरादियाणं समयाइवा,
आवलियाझ्वा जाव उस्सण्पिणीइवा अवसप्पिणीइबा, से तेणटेणं गोयमा ! जाव
आइच्चे ॥ ७ ॥ चंदस्सणं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसिरण्णो कइ. अग्गमहिसीओ भावाय
विमान है, मनोहर देव, मनोहर देवियों, मनोहर आमन, शयन, स्तंभ, भंड, पात्र व उपकरण है और स्त्रयमेव ज्योतिषी का इन्द्र ज्योतिषी का राजा सोम, कांत, सुभग, प्रिय दर्शनीय व मुरूप है इस से | चंद्र को शशी कहा है ॥ ६ ॥ अहो भगवन् ! सूर्य को आदित्य क्यों कहा ? अहो गौतम ! सूर्यआदित्य से है। समय, आवलिका, यावत् उत्सर्पिणी अवमर्पिणी है इस से अहो गौतम ! सर्य आदित्य कहा गया है ॥७॥
पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भवगती ) सूब
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3 बारहवा शतक का छठा उद्देशा <3
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