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________________ शब्दार्थ १७३८ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋर्षिनी - धारी गं० गंधधारी आ०: आभरणधारी रा. राहु दे० देवके ण. नव ना० नाम प० प्ररूपे तं० वह ज.* जैसे ति• श्रृंगाटक ज. जटिल ख० क्षत्रके ख० खरक द० दर्दूर म० मकर म० मत्स्य क. कच्छप क० कृष्णसर्प ॥ १ ॥ रा० राहु दे० देवके पं० पांच नि. विमान कि० कृष्ण नी० नील लो० लोहित हा० हारिद्र मु० शुक्ल अ० है का० काला रा० राहु क विमान खं• काजल जैसा अ० है नी. नीला रा. राहु का विमान ला० तूम्पक जैना अ०है लो. लोहित रा० राहू का विमान मं० मजिठ जैसा अ015 वरमल्लधरे, वरगंधधरे, वराभरणधारी ; राहुस्सणं देवस्स णव णामधेना पण्णत्तातंजहा- सिंघाडए, जडिलए, खत्तए, खरए, ददुरे, मगर, मच्छे, कच्छभे, कण्हसप्पे ॥ १ ॥ राहुस्सणं देवस्स पंच विमाणा पण्णत्ता तंजहा- किण्हा नीला लोहिया हालिद्दा सुकिल्ला ॥ अत्थि कालए राहुविमाणे खजण वण्णाभे पण्णत्ते ॥ अत्थि नीलए राहुविमाणे लाउयवण्णाभे पण्णत्ते ॥ अत्थिणं लोहिए राहुविमाणे मंजिट्ठवण्णाभे उन का यह कथन असस है. अहो गौतम ! मैं ऐसा कहता हूं यावत् प्ररूपता हूं कि राहू एक महर्दिक व महा ऐश्वर्यवन्त देव है, श्रेष्ठ वस्त्र, माला गंध व आभरण का धारन करनेवाला है. राहू के नव नाम कह हैं. १ श्रृंगाटक २ जटिल ३ क्षत्रक ४ खरक ५ दर्दूर ६ मकर ७ मच्छ ८ कच्छ और ९ कृष्ण सर्प ॥ १ ॥ राहू देवता के पांच वर्णवाले विमान कहे हैं, १ कृष्ण वर्णवाला २ नील वर्णवाला ३ रक्त वर्ग * प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवमहायजी ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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