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भावार्थ
पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती)
सरीरे एयाणि अटफासाणि, कम्मग सरीरे चउपासे; मण जोगेय वइ जोगेय चउफासे, कायजोगे अटफासे । सागारोवओगेय अणागारोवआगेय अवण्णा ॥ १९ ॥ सव्वदव्याणं भंते ! कइवण्णा ? गोयमा ! अत्थेगइया सव्वदव्वा पंचवण्णा जाव अटुफासा पण्णत्ता, अत्थेगइया सव्वदव्वा पंचवण्णा जाव चउफासा पण्णत्ता, अत्थेगइया सव्वदव्वा एगवण्णा एगगंधा एगरसा दुफासा पण्णत्ता, अत्थेगइया
सव्वदव्वा अवण्णा जाब अफासा पण्णत्ता, ॥ एवं सव्वपएसावि, सव्व पज्जवावि ॥ ज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधि ज्ञान, मन:पर्यत्र ज्ञान व केरल ज्ञान, मति अज्ञान, श्रुन अज्ञान व विभंग ज्ञान, आहार संज्ञा, भय संज्ञा, मैथुन संज्ञा व परिग्रह संज्ञा, इन में वर्णादि नहीं पाते हैं ॥ १८ ॥ उदारिक शरीर वैक्रेय शरीर, आहारक शरीर, तेजस शरीर में पांच वर्ण यावत् आठ स्पर्श ऐसे २० बोल और कार्माण . शरीर में पांच वर्ण यावत् चार स्पर्श यों १६ बोल. मन योग व वचन योग में चार स्पर्श और काय योग में आठ स्पर्श साकारोपयोग व अनाकारोपयोग में वर्णादि नहीं है ॥ १९ ॥ अहो भगवन् ! सब 0 द्रव्य में कितने वर्ण यावत् स्पर्श हैं ? अहो गौतम ! किननेक द्रव्य में पांच वर्ण यावत् आठ स्पर्श हैं। कितनेक द्रव्य में पांच वर्ण यावत् चार स्पर्श हैं, कितनेक द्रव्य में एक वर्ण, एक गंध, एक रस, व दो स्पर्श और कितनेक द्रव्य में वर्णादि नहीं हैं ऐसे ही सब प्रदेश व पर्यव का जानना. अतीत काल, अनागत*
बारहा शतकका पांचवा उद्देशा