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जीवं पडुच्च अवण्णा जाव अफासा पण्णत्ता. एवं जाव थणियकुमारा ॥ पुढवीकाइयाणं पुच्छा ? ओरालिय तेयगाई पडुच्च पंचवण्णा जाव अट्ठ फासा पण्णत्ता, कम्मगं पडुच्च पंचवण्णा जाव चउफासा पण्णत्ता, जहा नेरइयाणं, जीवं पडुच्च तहेव. ॥ एवं जाव चउरिंदिया णवरं वाउकाइया, ओरालिय बेउब्विय तेयगाइं पडुच्चपंचवण्णा जाव अट्ठफासा पण्णत्ता सेसं जहा णेरइयाणं, पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिया जहा वाउकाइया ॥ ॥ मणुस्साणं पुच्छा ? गोयमा ! ओरालिय
वेउब्विय आहारग तेयगाई पडुच्च पंचवण्णा जाव अट्ठफासा पण्णत्ता, कम्मगं जीवं भावार्थ चार स्पर्श कह हैं. और जीव आश्री वर्णादि रहित है. ऐसे ही स्थनित कुमारतक जानना. पृथ्वीकायामें
ke उदारिक तेजस् आश्री पांच वर्ण यावत् आठ स्पर्श और कार्माण आश्री पांच वर्ण यावत् चार स्पर्श.
जीव आश्री अरूपी ऐसे ही अप् , तेउ, वनस्पति, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय व चतुरोन्द्रिय का जानना. वायुकाया में
उदारिक वैक्रेय व तेजस् आश्री पांच वर्ण यावत् आठ स्पर्श और कार्माण व जीव आश्री नारकी जैसे ॐ जानना. तियेच पंचेन्द्रिय वायुकाया जैसे जानना. मनुष्य में उदारिक, वैक्रेय आहारक व तेजस् आश्री पांच
वर्ण यावत् पाठ स्पर्श और कार्माण व जीव आश्री नारकी जैसे जानना. वाणव्यंतर, ज्योतिषी व वैमानिक
विवाह पण्णत्ति (भगवत मृत्र Quagit
20- बारहवा शतक का पांचवा उद्देशा 4980