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________________ 42 अनुवादक-घालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी * अह भंते ! लोभे, इच्छा, मुच्छा, कंखा, गेही, तण्हा, भिज्झा, अभिज्झा, आसासणया, पत्थासणया, लालप्पणया, कामासा, भोगासा, जीवियासा, मरणासा, नंदिरागे, एसणं कइवण्णे ४ पण्णत्ते? गोयमा! जहेब कोहे ॥ ५॥ अह भंते! पेजे दोसे, कलहे जाव मिच्छादसणसल्ले एसणं कइवण्णे ४ ५०? जहेव कोहे तहेव जाव चउफासे ॥६॥ अह भंते! पाणाइवायरमणे जाव परिग्गहवरमणे, कोहविवेगे जाव मिच्छादसण सल्लविवेगे एसणं कइवण्णे जाव कइफास पण्णत्ते ? गोयमा! अवणे, अगंधे, अरसे अफासे, पण्णत्ते ॥ ७ ॥ अह भंते ! उप्पत्तिया, वेणइया, कम्मिया, परिणामिया, कांक्षा, गृद्धि, तृष्णा, भेद्य, अभेद्य, आशासनता (अन्य के अर्थ की आशा) प्रार्थना, लालपनता, कामाशा भोगाशा, जीविताशा, मरणाशा, नंदीराग समृद्धि होने से हर्ष इन में अहो भगवन् ! कितने वर्ण गंध रस व स्पर्श कहे हव हैं ? अहो गौतम ! क्रोध जैसे १६ बोले इस में कटे हैं.॥६॥ अहो भगवन ! राग द्वेष कलह यावत् मिथ्या दर्शन शल्य में कितने वर्ण गंध रम स्पर्श कहे हैं ? अहो गौतम ! क्रोध जैसे १६ बोल कहे हुवे हैं. ॥ ६ ॥ अहो भावन् : प्राणातिपात विरमण यावत् परिग्रह विरमण, क्रोध का त्याग यावत् मिथ्या दर्शन शल्यका त्याग में कितने वर्ण, गंध, रस, स्पर्श कहे हुवे हैं ? अहो गौतम ! वर्ण, गंध, * प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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