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गोयमा! सव्वत्थोवे कम्मोग्गलपरियह णिवत्तणा काले, तेया पोग्गलपरियह णिवत्तणाकाले अणंतगुणे, ओरालिय पोग्गलपरियह णिवत्तणाकालेः अणंतगुणे आणापाणु पोग्गल परियट निव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, मणपोग्गल परियटणिन्वटणाकाले अणंतगणे, वइपोग्गल परियट्ट णिव्वदृणाकाले अणंतगुणे, वेउन्विय पोग्गल परियह णिव्वत्तणाकाले अगंतगुणे ॥ २४ ॥ एएसिणं भंते ! ओरालिय पोग्गल परियटाणं जाव आणापाणु पोग्गल परियाणय कयरे कयरेहितो जाब विसेसाहियावा ? गोयमा!
सम्वत्थोवा वेउव्विय पोग्गल परियटा, वइपोग्गल परियट्टा अणंतगुणा, मणपोग्गल पुद्गल परावर्त निवर्तन काल क्यों कि कार्माण पुद्गल बहुत सूक्ष्म परमाणु से बनते हैं एक वक्त में बहुत ग्रहण होते हैं सब नरकादि पदमें रहनेवाले जीव समय२ में ग्रहण करते हैं इस से तेजस पुद्गल निवर्तन काल में अनंत गुना, इस से उदारिक पुद्गल निवर्तन काल अनंत गुना इस से श्वासोश्वास पुद्गल निवर्तन काल
अनंत गुना इस से मन पुद्गल परावर्तन काल अनंत गुना इस से वचन पुद्गल परावर्तन काल अनंत गुना | स से वैकेय पदल परावर्त काल अनंत गना ॥ २४॥ अहो भगवन ! इन उदारिक यावत श्वासोश्वास * पुद्गल परावर्त में कौन किस से अल्प यावत् विशेषाधिक है ? अहो गौतम ! सब से थोडा वैफ्रेय पुद्गल
बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी 8+
प्रकाशक-राजाबहादर लाला मुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी
भाव