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428 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) मूत्र
. एवं वेउब्बियपोग्गल परियटेवि णवरं वेउब्बिय सरीरवट्टमाणेणं वेउब्धियसरीर पाउग्गाइंसेसं तंचेव । एवं जाव आणापाणु पोग्गलपरियट्टेवि,णवरं आणापाणु पाउग्गाइं सव्वदन्वाइंआणा. पाणुत्ताए सेसं चेव ॥२२॥ओरालिय पोग्गलपरियटेणं भंते ! केवइयं कालं णिवत्तिजइ? । गोयमा ! अणंताहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं एवइय कालस्स णिव्वत्तिज्जइ ॥ एवं वेउव्विय पोग्गलपरियटेवि, एवं जाव आणापाणु पोग्गलपरियझवि ॥ २३ ॥ एयस्सणं भंते! ओरालिय पोग्गलपरियट्टणिवत्तणा कालस्स, वेउब्बियपोग्गल जाव आणापाणु
पोग्गलपरियट्ट णिव्वत्तणा कालस्स कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहियावा? वैक्रेय पुद्गल परावर्तका जानना परंतु इममें वैक्रेय शरीर योग्य पुद्गल ग्रहण किये यावत् छोडे कहना. ऐसे ही श्वासोश्वास तक जानना ॥ २२ ॥ अहो भगवन् ! उदारिक पुद्गल परावर्त की कितने काल में निवृत्ति होती है ? अहो गौतम ! अनंत काल में निवृत्ति होती है क्योंकि जीव एक है और पुद्गल अनंत है ऐसे ही वैक्रेय पुद्गल परावर्त यावत् आन पान पुद्गल परावर्त का जानना ॥ २३ ॥ अहो भगवन् ! इन। उदारिक पुद्गल परावर्त निवर्तन काल, वैक्रेय पुद्गल परावर्त निवर्नन काल यावत् श्वासोश्वास पुद्गल परावर्त का निवर्तन काल में कौन किस से अल्प बहुत यावत् विशेषाधिक है ? अहो गौतम ! सब से थोडा कार्माण
भावाथ
वारहवा शतकका चौथा उद्देशा Society