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पंचमांगविवाह पण्गत्ति (भगवती) सूत्र 9.280
मणपोग्गल परियट्टा सव्वेसु पंचिदिएसु एगुत्तरिया, विगलिंदिएसु णत्थि, वइ पोग्गल परियट्टा एवं चेव, णवरं एगिदिएसु णत्थि भाणियव्वा ॥ आणापाणु पोग्गल परियट्टा सव्वत्थ एगुत्तरिया एवं जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते ॥ २० ॥ रइयाणं भंते ! णेरइयत्ते केवइया ओरालिय पोग्गल परियट्टा अतीता ? णत्थि, केवइया पुरक्खडा ? णत्थि एकोवि ॥ एवं जाव थणियकुमारत्ते ॥ पुढवीकाइयत्ते पुच्छा ? अणंता केवइया पुरक्खडा ? अणंता एवं मणुस्सत्ते, वाणमंतर जोइसिय वेमाणियत्ते जहा णेरइयत्ते.
एवं सत्तवि पोग्गल परियट्टा भाणियव्वा, जत्थ अत्थि तत्थ अतीतावि पुरक्खडावि वैमानिक तक सब दंडक का कहना ॥ १९ ॥ तेजस व कार्माण पुद्गल का वर्णन मव को जघन्य एक है E दो तीन उत्कृष्ट संख्यात असंख्यात व अनंत कहना. मन पुद्गल परावर्त सब पंचेन्द्रिय में होता है वचन पुद्गल
परावर्त एकेन्द्रिय वर्ज कर सब जीव म है और श्वासोश्वास पुद्गल परावर्त सब जीवों में जघन्य एक दो तीन
उत्कृष्ट संख्यात असंख्यात अनंत तक जानना.॥२०॥ अहो भगवन् ! बहुत नारकीने नारकीपने अतीतकाल 3 में कितने उदारिक पुद्गल परावर्त किये ?अहो गौतम ! बहुत नारकीने अतीत में नहीं किये और आगामिक
काल में नहीं करेंगे क्यों की उदारिक शरीर उन में नहीं हैं ऐसे ही स्थनित कुमार तक जानना."
११.१ बारहवा शतक का चौथा उद्देशा 40
भावार्थ
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