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सूत्र
भावार्थ
40+ पंचमांग विवाहपत्ति ( भगवती ) सूत्र ॐॐॐॐ
एगमेगरसणं भंते ! णेरइयस्स पुढविकाइयत्ते केवइया ओरालियपोग्गल परियट्टा अतीता ? अनंता, केवइया पुरस्खडा ? कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि जस्सत्थि जहणेणं एकोवा दोवा तिणिवा उक्कोसेणं संखेज्जावा असंखेज्जावा अनंतावा एवं जाव मणुरसत्ते, वाणमंतर जोइसिय वैमाणियत्ते जहा असुरकुमारन्ते ॥ १७ ॥ एगमेगरसणं भंते ! असुरकुमारस्स रइयत्ते केवइया, ओरालियपोग्गल परियट्टा एवं जहा रइयरस वतव्वया भणिया तहा असुरकुमारस्सवि भाणियव्वा जाव माणि
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भी नहीं ऐसे ही स्थनित कुमार तक सब भुवनपति का जानना. अहो भगवन् ! एक नारकीने पृथ्वीकायापने कितने उदारिक पुद्गल परावर्त अतीत काल में किये ? अहो गौतम ! अनंत उदारिक पुद्गल परावर्त अतीत काल में किये. अहो भगवन् ! आगामिक काल में कितने करेंगे ? अहो गौतम ! कितनेक करेंगे और कितनेक नहीं करेंगे जो करेंगे वे जघन्य एक दो तीन उत्कृष्ट संख्यात असंख्यात व अनंत { पुद्गल परावर्त करेंगे. ऐसे ही मनुष्य तक जानना. वाणव्यंतर ज्योतिषी व वैमानिक का असुर कुमार जैसे { कहना ||१७|| अहो भगवन् ! एक २ असुर कुमारने नारकीपने कितने उदारिक पुद्गल परावर्त किये ? अहो. गौतम ! जैसे नारकी का कहा वैसे ही असुर कुमार का जानना और ऐसे ही स्थनित कुपारतक सब
बाह। शतकका चौथा उद्देशा +4+
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