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47 अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋजी
केवइया पुरक्खडा? अणंता । एवं जाव वेमाणियाणं ॥ एवं वेउवियपोग्गलपरियहावि, एवं जाव आणापाणु पोग्गलपरियटावि जाव वेमाणियाणं एवं एए पोहत्तिया सत्तचउव्वीस दंडगा ॥ १६ ॥ एगमेगस्सणं भंते! णेरइयस्स गैरइयत्ते केवइया
ओरालिय पोग्गलपरियटा अतीता? गोयमा! णत्थि एकोवि । केवइया पुरक्खडा? नत्थि एकोवि ॥ एगमेगस्सणं भंते! जेरइयस्स असुरकुमारत्ते केवइया
ओरालियपोग्गल परियट्टा एवं चेत्र. एवं जाव थणिय कुमारत्ते जहा असुरकुमारत्ते ॥ उदारिक पुद्गल परावर्त किए ? अहो गौतम ! सब नारकीने अतीत काल में अनंत पुदल परावर्त किये. अहो भगवन् ! आगे कितने उदारिक पुद्गल परापत करेंगे ? अहो गौतम ! अनंत पुद्गल परावर्त करेंगे ऐसे ही वैमानिक तक जानना. जैसे उदारिक का कहा वैसे ही वैक्रय आदि सब पुद्गल परावर्त का जानना ॥ १६॥ अहो भगवन् ! एक २ नारकीने 'नारकीपने कितने उदारिक पुद्गल परावर्त अतीत
ल में किए? अहो गौतम! एक की नहीं किया क्योंकि नारकी में उदारिक शरीरका अभाव है. भगवन् ! आगामिक काल में कितने करेंगे ? अहो गौतम ! आगाभिक काल में एकभी नहीं करेंगे. क्योंकि नरक में उदारिक शरीर नहीं हैं. अहो भगवन् ! एक २ नारकी असुर कुमारपने कितने उदारिक पुद्गल परावर्त किये ? अहो गोतम ? एक नारकीने अमुर कुमारपने एकभी पुद्गल परावर्त किया नहीं है और करेंगे
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी*