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११पंचभाङ्ग विवाह पण्णत्ति ( भगवती) सूत्र 408
पएसिए खंधे एगयओ अणंतपदेसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले . एगयओ दो अणंतपदसिया खंधा भवंति, अहवा एगयओ दुपदेसिए खंधे एगयओ दो अणंतपदेसिया खंधा भवंति, एवं जाव एगयओ दसपएसिए खंधे एगयओ दो अणंतपएसिया खंधा भवंति, अहवा एगयओ संखेज पएसिए खंधे एगयओ दो अणंतपदेसिया खंधा भवंति, अहग एगयओ असंखेज पएसिए खंधे एगयओ दो अणंतपदेसिया खंधा भवंति, अहवा तिण्णि अणंतपएसिया खंधा भवंति, । चउहा
कज्जमाणे एगयओ तिण्ण परमाणुपोग्गला एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ, एवं एक अनंत प्रदेशात्मक स्कंध एक द्विपदेशात्मक स्कंध, एक अनंत प्रदेशात्मक स्कंध ऐसे ही दो अनंत प्रदे
शात्मक स्कंध होवे. तीन विभाग करने से दो परमाणु पुद्गल एक अनंत प्रदेशात्मक स्कंध अथवा एक है परमाणु पुद्गल एक द्विप्रदेशात्मक स्कंध एक अनंत प्रदेशात्मक स्कंध यावत् एक परमाणु पुद्गल एक असं-300
ख्यात प्रदेशात्मक स्कंध एक अनंत प्रदेशात्मक स्कंध अथवा एक परमाणु पुद्गल दो अनंत प्रदेशात्मक स्कंध एक द्विप्रदेशात्मक स्कंध दो अनंत प्रदेशात्मक स्कंध यावत् एक दश प्रदेशात्मक स्कंध दो अनंत प्रदेशात्मक * स्कंध एक संख्यात प्रदेशात्मक स्कंध दो अनंत प्रदेशात्मक,एक असंख्यात प्रदेशात्मक स्कंध दो अनंत प्रदे-है
बारहवा शतकका चौथा उद्देशा
भावार्थ