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सूत्र
भावार्थ
* पंचमाङ्ग विवाह पण्णति (भगवती सूत्र
एगओ दो असंखेज पदेसिया खंधा भवंति अहवा तिणि असंखेज्ज पएसिया खंधा भवंति । चउहा कज्जमाणे एगयओ तिष्णि परमाणु पोग्गला एगयओ असंखेज्ज पएसिएखंधे भवइ, एवं चउक्क संजोगो जात्र दससंजोगो; एवं जहेव असंखेज्ज पि यस्स णवरं असंखेज्जयं एगं अब्भहियं जाणियव्त्रं जाव अहवा दस असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति, संखेज्जहा कज्जमाणे एगयओ संखेज्जा परमाणुपोग्गला, एगयओ असंखेज्ज एसए खंधे भवइ, अहवा एगयओ संखेज्जा दुपएसिया खंधा एगयओ असंखेन एसिए खंधे भवइ, एवं जात्र अहवा एगयओ संखेज्जा दसपएसिया खंधा, एगयओ असंखेज्जपए सिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ संखेज्जा संखेज्ज पएसिया खंधा एगयओ ख्यात प्रदेशात्मक स्कंध अथवा तीन असंख्यात प्रदेशात्मक स्कंध चार टुकडे करते तीन परमाणु पुद्गल एक असंख्यात प्रदेशात्मक स्कंध ऐसे ही संपूर्ण चार संयोग यावत् दश संयोग का जैसे संख्यात प्रदेशी का कहा वैसे ही असंख्यात प्रदेशी का कहना. मात्र इन में असंख्यात मदेशी जानना यावत् दश असं ख्यात प्रदेशात्मक स्कंध. अब संख्यात टुकडे करते संख्यात परमाणु पुद्गल एक असंख्यात प्रदेशा मक स्कंध अथवा संख्यात द्विपदेशात्लक स्कंध एक असंख्यात प्रदेशात्मक स्कंध, ऐसे ही संख्यात दश प्रदेशा
९०३ २०४ बारहवा शतक का चौथा उद्देशा 40
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