________________
१७०८
१ अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी 22
खंधे, एवं जाव अहवा एगयओ दसपदेसिएखंधे भवइ, एगयओ संखेज पएसिएखंधे भवइ, अहवा दो संखेज पएसियाखंधा भवंति । तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणु पोग्गला एगयओ संखेज पएसिएखंधे भवइ, अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ ' दुपदेसिएखंधे एगयओ संखेज पदेसिएखंधे भवइ, अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ तिपदेसिएखंधे एगयओ संखेज पदेसिएखंधे भवइ एवं जाव अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दसपएसिएखंधे एगयओ संखेज पएसिएखंधे भवइ, अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दो संखेज पएसियाखंधा, अहवा एगयओ दुपदेसिए
खंधे एगयओ दो संखेज पएसियाखंधा भवंति, एवं जाव अहवा एगयओ दसपदेस्कंध, तीन टुकडे करने से दो परमाणु पुद्गल एक संख्यात प्रदेशात्मक स्कंध, अथवा एक परमाणु पुद्गल एक द्विप्रदेशात्मक स्कंध, एक संख्यात प्रदेशात्मक स्कंध, एक परमाणु पुद्गल, एक तीन प्रदेशात्मक स्कंध व एक संख्यात प्रदेशात्मक स्कंध ऐसे ही एक परमाणु पुद्गल एक दश प्रदेशात्मक स्कंध एक संख्यात प्रदे स्कंध अथवा एक परमाणु पुद्गल दो संख्यात प्रदेशात्मक स्कंधअथवा एक द्विप्रदेशात्मक स्कंध दो संख्यात प्रदेशात्मक स्कंध ऐसे ही एक दश प्रदेशात्मक स्कंधदोसंख्यात प्रदेश त्मक स्कंध अथवा तीनं संख्यात प्रदेशात्मक स्कंध
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ