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पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती) मूत्र 4880
भवंति । अट्टहा कजमाणे एगयओ सत्तपरमाणुपोग्गला एगयओ तिपदेसिए खंधे। भवइ, अहवा एगयओ छ परमाणुपोग्गला एगयओ दो दुपदेसिया खंधा भवति । णवहा कज्जमाणे एगयओ अट्ठपरमाणुपोग्गला एगयओ दुषदेसिए खंधे भवइ । दसहा कजमाणे दसपरमाणुपोग्गला भवंति ॥ ९॥ संखेजाणं भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति एए किं भवंति ? गोयमा ! संखेजपएसिए खंधे भवइ, से भिजमाणे दुहावि जाव दसहावि संखेजहावि कजइ, दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणु पोग्गले एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ दुपदेसिए खंधे एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ तिपदेसिए खंधे एगयओ संखेजपएसिए छ परमाणु पुद्गल व दो द्विपदेशात्मक स्कंध, नव टुकड़े करते आठ परमाणु पुद्गल और एक द्विपदेशात्मक स्कंध. और दश टुकडे करते दश परमाणु पुद्गल ॥ ९ ॥ संख्यात प्रदेश एकषित करने से संख्यात प्रदे-10 शात्मक स्कंध होता है और इस के दो यावत् दश यावत् संख्यात टुकडे होते हैं. दो टुकडे करने से एक परमाणुपुद्गल एक संख्यात प्रदेशात्मक स्कंध, एक द्विपदेशात्मकस्कंध एक संख्या प्रदेशात्मक स्कंध ऐसेही तीन चार यावत् दश प्रदेशात्मक स्कंध व एक संख्यात प्रदेशात्मक स्कंध और दो संख्यात प्रदेशात्मक
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388 बारहवा शतक का चौथा उद्देशा k-4882
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