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१ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
पोग्गला, एगयओ तिपदेसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ पंच परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपदेसिया खंधा भवंति । अट्टहा कन्जमाणे एगयओ सत्त परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपदेसिए खंधे भवइ, । णवहा कज्जमाणे णव परमाणुपोग्गला भवंति ॥८॥ दस भंते ! परमाणुपोग्गला पुच्छा ? गोयमा ! जाव दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ णव पदेसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ दुपदेसिए खंधे एगथओ अट्ठ पएमिए खंधे भवइ. एवं एक्वेकं संचारैति जाव अहवा दो पंचपदेसिया
खंधा भवंति । तिहा कजमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ अट्ठपदेसिए प्रदेशात्मक स्कंध अथवा तीन परमाणु पुद्गल तीन द्विपदेशात्मक स्कंध. सात टुकडे करते छ परमाणु पुद्गल एक तीन प्रदेशात्मक स्कंध अथवा पांच परमाणु पदल दो दिप्रदेशात्मक स्कंध आठ टुकडे करत सात परमाणु पुद्गल एक द्विप्रदेशात्मक स्कंध, नब टुकडे करते नव परमाणु पुद्गल ॥८॥ अव दश परमाणु पुद्गल की पृच्छा करते हैं. अहो गौतम ! दश प्रदेशात्मक एक स्कंध होता है. इस के दो यावत् दश टुकडे होते हैं. जब दो टुकडे होते हैं तब एक परमाणु पुद्गलव एक नव प्रदेशात्मक स्कंध, एका
देशात्मक स्कंध व एक आठ प्रदेशात्मक स्कंध यों एक २ बढाते यावत् दो पांच प्रदेशात्मक स्कंध. तीन
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्यालयसादजी *
भावार्थ