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________________ 43 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी + भवति. चउहा कजमाणे एगयओ तिण्णि परमाणु पोग्गला, एगयओ तिपदेसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ दो परमाणु पोग्गला एगयओ दो दुपदेसिया खंधा भवंति.. पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणु पोग्गला एगयओ दुपदेसिए खंधे भवइ छहा कजमाणे छपरमाणु पोग्गला भवति ॥ ५॥ सत्त भंते ! परमाणु पोग्गला पुच्छा ? गोयमा सत्तपएसिए खंधे भवइ, से भिजमाणे दुहावि जाव सत्तविहावि कज्जइ दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणु पोग्गले एगयओ छप्पदेसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ दुपदेसिए खंधे एगयओ पंच पएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयओ टुकडे और चार प्रदेशात्मक स्कंध अथवा दो प्रदेशात्मक स्कंध एक, तीन प्रदेशात्मक स्कंध एक और एक परमाणु पुद्गल अथवा तीन दो प्रदेशात्मक स्कंध, चार टुकडे करते एक २ परमाणु पुद्गल के तीन और तीन प्रदेशात्मक स्कंध का एक, अथवा एक २ परमाणु पुद्गल के दो टुकडे और द्विपदेशात्मक स्कंध के दो टुकडे, पांच भाग में एक २ परमाणु के चार और द्विप्रदेशात्मक स्कंध का एक और छ भाग में भिन्नर छ परमाणु पुद्गल ॥ ५ ॥ सात परमाणु पुद्गल की पृच्छा अहो गौतम ! सात परमाणु पुद्गल मीलकर सात पदेशासक स्कंध होता है. और उस के टुकडे करते दो यावत् सात टुकडे होते हैं. दो टुकडे करते एक * प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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