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शब्दार्थ
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4.9 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मनि श्रा अमोलक ऋषिजी +
त० तब सा. वह मि. मृगावती देवी ज० जयंती स० श्रमणोपासिका को ज० जैसे दे० देवानंदा जा. यावत् प० सुने ॥ ७॥ ल० तव सा. वह मि० मृगावती देवी को० कौटुम्बिक पुरुषों को स० बोलाकर खि• शीघ्र दे० देवानुप्रिय ल० लघु कर्ण वाले जु० युक्त जा. यावत् ध० धार्मिक जा० यान प्रवर जु० युक्त उ० तैयार जा० यावत् उ० तैयार करते हैं जा० यावत् प० पीछी देते हैं ॥ ८ ॥ सरल शब्दार्थ
जयंतीए समणोवासियाए जहा देवाणंदा जाव पडिसुणेइ ॥ ७ ॥ तएणं सा मियावई देवी कोडुंबिय पुरिसे सद्दावेइ २ त्ता एवं क्यासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! लहुकरणजुत्तारोहिया जाव धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठावेह, जाव उवट्ठाति जाव पच्चाप्पणंति ॥ ८ ॥ तएणं सा मियावई देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं व्हाया कयबलिकम्मा जाव सराि बहहिं खुजाहिं जाव अंतेउराओ णिग्गच्छंतिरत्ता
* प्रकाशक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ
वैसा कहने लगी. और मृगावती रानीने भी देवानंदा ब्राह्मणी जैसे सब श्रवण किया ॥ ७॥ फीर मृगावती देवीने कौटुबिक पुरुषों को बोलाये और कहा की लघुकर्णवाले व शीघ्रगतिवाले यावत् धार्मिक श्रेष्ठ रथ शीघ्र तैयार करके मुझे मेरी आज्ञा पीछी दो. कौटुम्बिक पुरुषोंने ऐसा किया ॥ ८॥ फीर मृगावती रानीने जयंती श्राविका की साथ स्नान किया, कोगले किये, तिलमसादिक किये यावत् शरीर अलंकृत